"दुर्ग में सड़क विवाद ने लिया हिंसक रूप: परिवार पर हमला, 11 गिरफ्तार"


 

दुर्ग, छत्तीसगढ़:
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक अप्रत्याशित घटना ने लोगों को चौंका दिया, जब एक साधारण सड़क दुर्घटना ने हिंसक झड़प का रूप ले लिया। मामला तब शुरू हुआ जब एक कार, जिसे एक परिवार चला रहा था, अनजाने में एक मवेशी से टकरा गई। इस मामूली सी घटना ने कुछ ही पलों में एक उग्र झगड़े का रूप ले लिया, जिसमें कार सवार पुरुष को पीटा गया, उसकी पत्नी के बाल खींचे गए और उनकी नाबालिग बेटी से भी मारपीट की गई।

घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह सब उस समय हुआ जब परिवार किसी निजी काम से बाहर गया था। जैसे ही कार मवेशी से हल्के से टकराई, पास में मौजूद कुछ लोग उत्तेजित हो गए और कार चालक से बहस शुरू कर दी। कुछ ही मिनटों में बहस गाली-गलौच और फिर हाथापाई में बदल गई। भीड़ में शामिल लोगों ने कार चालक को गाड़ी से खींचकर बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया।

स्थिति तब और बिगड़ गई जब उसकी पत्नी, जो उसे बचाने की कोशिश कर रही थी, को भी हमलावरों ने नहीं बख्शा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, महिला के बाल खींचे गए और उसे भी धक्का-मुक्की की गई। इतना ही नहीं, परिवार की नाबालिग बेटी को भी मारने की कोशिश की गई और उसे शारीरिक रूप से चोट पहुंचाई गई।

स्थानीय निवासियों द्वारा पुलिस को तत्काल सूचना दी गई, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रण में लिया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 11 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें कुछ स्थानीय निवासी और परिचित शामिल हैं। इन सभी पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनमें मारपीट, जान से मारने की धमकी, महिलाओं से दुर्व्यवहार और सार्वजनिक शांति भंग करना शामिल है।

दुर्ग पुलिस अधीक्षक (SP) ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया, “यह घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। हमने इस मामले को गंभीरता से लिया है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पीड़ित परिवार को सुरक्षा प्रदान की गई है और उन्हें हरसंभव सहायता दी जा रही है।”

घायलों का इलाज पास के सरकारी अस्पताल में चल रहा है। डॉक्टरों ने बताया कि चालक और उसकी पत्नी को हल्की से मध्यम चोटें आई हैं, जबकि बेटी को मानसिक आघात भी पहुंचा है। अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि पीड़ित परिवार की काउंसलिंग भी करवाई जाएगी ताकि वे जल्द सामान्य स्थिति में लौट सकें।

यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि छोटी-सी गलतफहमी या दुर्घटना किस तरह से सामाजिक हिंसा में बदल सकती है। यह केवल कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी नहीं बल्कि समाज के हर व्यक्ति की जवाबदेही भी है कि वह संयम और समझदारी से काम ले। किसी भी असहमति को हिंसा का रास्ता देने से पहले हमें सोचने की ज़रूरत है कि इसके परिणाम क्या हो सकते हैं।

दुर्ग प्रशासन ने इस घटना को उदाहरण बनाते हुए सार्वजनिक स्थलों पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करने की बात कही है ताकि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

Post a Comment

Previous Post Next Post