"रायपुर में सट्टा सिंडिकेट का भंडाफोड़: पार्षद पिता-पुत्र गजानंद एप से चला रहे थे बड़ा नेटवर्क, 600 बैंक खातों में हुआ लेनदेन"


 

रायपुर, छत्तीसगढ़: राजधानी रायपुर में एक बड़ा सट्टा नेटवर्क पकड़ा गया है, जिसमें नगर निगम के एक पार्षद और उनके बेटे को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने खुलासा किया है कि आरोपी गजानंद नामक मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए सट्टा चला रहे थे और इस अवैध कारोबार में 600 से अधिक बैंक खातों के माध्यम से करोड़ों रुपये का लेनदेन किया गया।

पुलिस की साइबर और आर्थिक अपराध शाखा को इस पूरे नेटवर्क की जानकारी एक गुप्त सूचना के आधार पर मिली थी। जब जांच को गहराई से अंजाम दिया गया, तो पुलिस को यह जानकर हैरानी हुई कि इस सट्टा नेटवर्क के तार कई शहरों से जुड़े हुए हैं और यह एक संगठित गिरोह की तरह काम कर रहा था। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में एक नगर निगम पार्षद और उनका पुत्र शामिल है, जो इस नेटवर्क का संचालन कर रहे थे।

गजानंद एप बना अपराध का माध्यम

इस पूरे सट्टा घोटाले का मुख्य जरिया एक मोबाइल एप्लिकेशन ‘गजानंद’ था, जिसे एंड्रॉइड फोन में इनस्टॉल कर गुप्त तरीके से सट्टा खिलाया जा रहा था। एप को प्ले स्टोर पर नहीं, बल्कि सीधे लिंक के जरिए डाउनलोड किया जाता था। इस एप के जरिए लोग क्रिकेट, ऑनलाइन गेम्स और अन्य नतीजों पर सट्टा लगाते थे। एप का सर्वर विदेश में होने की आशंका भी जताई जा रही है, जिसकी जांच साइबर एक्सपर्ट्स कर रहे हैं।

पुलिस के अनुसार, इस एप का इस्तेमाल कर सट्टा खिलाने और पैसे ट्रांसफर करने का काम पूरी तरह डिजिटल था। आरोपी बैंक खातों के अलावा डिजिटल वॉलेट और यूपीआई प्लेटफॉर्म्स का भी इस्तेमाल करते थे, ताकि पैसों का कोई ठोस रिकॉर्ड न रहे। लेकिन सतर्क जांच से पुलिस ने इन सभी लेनदेन की कड़ियाँ जोड़ ली हैं।

600 से अधिक बैंक खातों की जांच में जुटी पुलिस

पुलिस को शुरुआती जांच में 600 से ज्यादा बैंक खातों की जानकारी मिली है, जिनका उपयोग इस नेटवर्क द्वारा सट्टे के लेनदेन में किया गया है। ये खाते देश के अलग-अलग बैंकों में खोले गए थे और अधिकतर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सक्रिय थे। इन खातों से करोड़ों रुपये के ट्रांजेक्शन का खुलासा हुआ है।

पुलिस अब इन खातों से जुड़े सभी व्यक्तियों की पहचान कर रही है, ताकि इस नेटवर्क से जुड़े बाकी सदस्यों को भी गिरफ्तार किया जा सके। वहीं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग को भी इस केस से अवगत करा दिया गया है, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के पहलुओं की भी जांच की जा सके।

राजनीतिक संबंधों से जांच में हलचल

गिरफ्तार पार्षद और उनके बेटे के राजनीतिक संपर्कों के चलते इस पूरे मामले ने एक राजनीतिक रंग भी ले लिया है। स्थानीय नेताओं में इस गिरफ्तारी को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ नेताओं ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र बताया, जबकि कई जनप्रतिनिधियों ने सट्टे के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

रायपुर नगर निगम ने इस मामले में आंतरिक जांच शुरू कर दी है और संबंधित पार्षद की सदस्यता रद्द करने की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है। नगर निगम के महापौर ने कहा कि अगर कोई जनप्रतिनिधि इस तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

पुलिस ने जब्त की संपत्ति और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस

पुलिस ने छापेमारी के दौरान आरोपियों के पास से लैपटॉप, मोबाइल फोन, डेबिट कार्ड्स, पासबुक, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस जब्त किए हैं। इनमें से कई डिवाइस में सट्टा एप से जुड़ी जानकारियाँ पाई गई हैं, जिन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।

आगे की कार्रवाई

फिलहाल दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस का कहना है कि इस केस में और भी गिरफ्तारियाँ हो सकती हैं, क्योंकि यह एक विस्तृत नेटवर्क है जो कई राज्यों तक फैला हुआ है।

पुलिस आयुक्त ने जनता से अपील की है कि यदि किसी को इस एप या सट्टा नेटवर्क से जुड़ी जानकारी हो तो वह तुरंत पुलिस को सूचित करें। रायपुर में पहली बार किसी सट्टा एप के जरिए इतने बड़े पैमाने पर डिजिटल अपराध का खुलासा हुआ है, जिससे यह मामला बेहद संवेदनशील बन गया है।

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