"सुपेला अस्पताल की लापरवाही: मरीज़ को चढ़ाया गया एक्सपायरी ग्लूकोज़, डॉक्टर का असंवेदनशील जवाब"


 

भिलाई, 5 मई 2025: भिलाई के सुपेला स्थित एक निजी अस्पताल में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है, जहां एक मरीज को एक्सपायरी डेट का ग्लूकोज चढ़ा दिया गया। मरीज के शरीर में जलन और बेचैनी की शिकायत के बाद जब नर्सिंग स्टाफ और परिजनों ने बोतल की जांच की, तब जाकर मामला सामने आया। हैरान करने वाली बात यह रही कि जब डॉक्टर से इस विषय में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, "मरीज मरा तो नहीं है, ऐसी गलती हो जाती है।"

इस घटना ने शहर में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। परिजनों की ओर से दर्ज की गई शिकायत के अनुसार, मरीज को तेज बुखार और कमजोरी की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उसे तुरंत ग्लूकोज चढ़ाने का निर्देश दिया। कुछ ही मिनटों में मरीज ने हाथ और शरीर में जलन, चक्कर आने और बेचैनी की शिकायत की।




एक्सपायरी ग्लूकोज का खुलासा

परिजनों ने जब ग्लूकोज बोतल की पैकिंग और लेबल की जांच की तो देखा कि उसकी मियाद (एक्सपायरी डेट) बीते महीने समाप्त हो चुकी थी। इस बात की जानकारी तुरंत अस्पताल प्रशासन को दी गई। लेकिन अस्पताल की ओर से कोई गंभीर प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके उलट, ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने गैर-जिम्मेदाराना जवाब देते हुए कहा, "मरीज की जान को कोई खतरा नहीं हुआ है, और ऐसी छोटी-मोटी गलतियां हो जाती हैं।"

स्वास्थ्य नियमों की खुली अवहेलना

मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि किसी भी एक्सपायरी दवा या सॉल्यूशन को मरीज को देना सीधा-सीधा मेडिकल नेग्लिजेंस है। एक्सपायरी हो चुकी दवाओं में रासायनिक परिवर्तन हो सकते हैं, जो शरीर में विषैला असर डाल सकते हैं और जानलेवा भी हो सकते हैं।

डॉ. शरद वर्मा, एक वरिष्ठ फिजिशियन ने इस विषय पर कहा, "एक्सपायरी दवा का उपयोग करना गंभीर लापरवाही की श्रेणी में आता है। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। यह केवल पेशेवर लापरवाही नहीं, बल्कि मरीज की जान के साथ खिलवाड़ है।"

परिजनों ने की जांच की मांग

मरीज के परिजनों ने सुपेला थाने में लिखित शिकायत दी है और मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते वे खुद जांच नहीं करते, तो मरीज की स्थिति और गंभीर हो सकती थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन इस गलती को दबाने की कोशिश कर रहा है।

स्वास्थ्य विभाग का बयान

घटना की जानकारी मिलते ही छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिक जांच के आदेश दे दिए हैं। स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि यदि अस्पताल दोषी पाया गया तो लाइसेंस रद्द करने तक की कार्रवाई की जा सकती है। विभागीय टीम द्वारा अस्पताल के स्टोर रूम, दवा भंडारण प्रक्रिया और एक्सपायरी चेकिंग सिस्टम की जांच की जा रही है।

जनता में आक्रोश

इस घटना के बाद स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में गहरा रोष है। सोशल मीडिया पर भी अस्पताल की आलोचना हो रही है। लोग मांग कर रहे हैं कि अस्पताल की कार्यप्रणाली की व्यापक जांच की जाए और दोषियों को सख्त सजा दी जाए।


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