**CG News: महासमुंद के जंगलों में वन्यजीवों की जान खतरे में! करंट के जाल ने 5 साल में छीनी 19 जिंदगियां**
महासमुंद: छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के जंगलों में वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरती जा रही है, जिसका खामियाजा बेकसूर वन्यजीवों को भुगतना पड़ रहा है। शिकारियों द्वारा जंगलों में बिछाए गए करंट के जाल वन्यजीवों के लिए मौत का कारण बन रहे हैं। पिछले पांच सालों में इन जालों में फंसकर 19 वन्यजीव अपनी जान गंवा चुके हैं।
वन विभाग की ओर से जंगल और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। घटना होने के बाद ही वन विभाग हरकत में आता है। शिकारी जंगलों में ऐसी जगहों पर बिजली के खंभों से तार खींचकर करंट का जाल बिछाते हैं, जहां वन्यजीवों की आवाजाही अधिक होती है या पानी के स्रोत मौजूद होते हैं। इन जालों से न केवल वन्यजीवों, बल्कि इंसानों की जान को भी खतरा बना रहता है।
**शिकारियों का जाल, वन्यजीवों की मौत**
ज्यादातर मामलों में शिकारी जंगली सूअर को निशाना बनाने के लिए करंट का जाल बिछाते हैं, लेकिन इनमें तेंदुआ, गौर, भालू, सांभर, चीतल जैसे अन्य वन्यजीव भी फंसकर मर जाते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 में 9, 2022-23 में 6, 2023-24 में 0, 2024-25 में 0 और 2025-26 में 4 वन्यजीवों की मौत हुई। शिकार का मुख्य मकसद वन्यजीवों की खाल, सींग, दांत, हड्डियां और मांस प्राप्त करना है।
**जंगलों का घटता दायरा**
बढ़ती आबादी के कारण जंगलों का दायरा लगातार सिकुड़ रहा है, जिससे वन्यजीव आबादी वाले क्षेत्रों की ओर रुख कर रहे हैं। गर्मियों में पानी और चारे की तलाश में वन्यजीव गांवों की ओर आते हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहा है। शिकार की घटनाएं जंगल के पारिस्थितिक संतुलन को भी बिगाड़ रही हैं।
**वन विभाग की कार्रवाई**
उप वनमंडलाधिकारी डॉ. वेंकटेस ने बताया कि शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं, जो जंगलों में गश्त और निरीक्षण कर रही हैं। वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए अभियान भी चलाया जा रहा है। इसके बावजूद, तस्कर और शिकारी बेखौफ होकर वन्यजीवों का शिकार कर रहे हैं।
**वर्षवार शिकार के आंकड़े**
- 2021-22: 9
- 2022-23: 6
- 2023-24: 0
- 2024-25: 0
- 2025-26: 4
- **कुल: 19**
**कानूनी कार्रवाई**
शिकार के मामलों में वन विभाग ने कई बार चेक नाके बनाए, लेकिन तस्करों पर पूरी तरह लगाम नहीं लग पाई है। हाल ही में एक मारपीट के मामले में एफआईआर भी दर्ज की गई है।
वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि जंगलों का संतुलन बना रहे और वन्यजीवों की जान बचाई जा सके।