मध्य प्रदेश पुलिस विभाग में एक बार फिर अनुशासनात्मक कार्रवाई चर्चा का विषय बनी हुई है। इस बार मामला टीआई (थाना प्रभारी) कलीम खान से जुड़ा है, जिन पर वसूली जैसे गंभीर आरोप लगे थे। हालांकि विभागीय जांच में उनके खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिले, फिर भी उन्हें बिना अनुमति फ्लाइट यात्रा करने के आरोप में सजा दी गई और पद से डिमोट कर दिया गया। कलीम खान को अब टीआई से एसआई (सब-इंस्पेक्टर) बना दिया गया है, जिससे पुलिस महकमे में हलचल मच गई है।
क्या है मामला?
जानकारी के अनुसार, टीआई कलीम खान पर कुछ महीने पहले वसूली करने के गंभीर आरोप लगे थे। एक स्थानीय व्यवसायी ने उनके खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि खान ने नियमित रूप से उनसे पैसों की मांग की और धमकी भी दी। शिकायत में कहा गया था कि यदि भुगतान नहीं किया गया, तो व्यवसाय को झूठे केस में फंसाने की धमकी दी गई।
इसके बाद मामले की जांच शुरू की गई। प्रारंभिक जांच में यह आरोप काफी गंभीर प्रतीत हुआ और खान को उनके वर्तमान थाने से हटा दिया गया। जांच टीम ने शिकायतकर्ता, थाने के अन्य पुलिसकर्मियों और स्थानीय नागरिकों के बयान दर्ज किए। इसके अतिरिक्त कुछ ऑडियो क्लिप भी सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिनमें वसूली जैसी बातें सुनी गईं, लेकिन तकनीकी जांच में इन क्लिप्स की पुष्टि नहीं हो सकी।
सबूतों की कमी, फिर भी मिली सजा
मामले की गहराई से जांच के बावजूद, पुलिस विभाग की अनुशासनात्मक समिति को ऐसे ठोस सबूत नहीं मिले जिससे यह सिद्ध हो सके कि कलीम खान ने वसूली की थी। न कोई पैसे का लेन-देन स्पष्ट रूप से सिद्ध हुआ, न ही कोई ऐसा दस्तावेज मिला जो उन्हें दोषी साबित करता।
लेकिन इसी जांच के दौरान यह सामने आया कि कलीम खान ने विभाग से अनुमति लिए बिना निजी कारणों से फ्लाइट यात्रा की थी। नियमों के अनुसार, किसी भी पुलिस अधिकारी को विभागीय अनुमति के बिना हवाई यात्रा नहीं करनी चाहिए, विशेषकर तब जब वह जांच के दायरे में हो।
डिमोशन का फैसला
अनुशासनात्मक समिति ने इस उल्लंघन को गंभीरता से लिया और उन्हें सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक सजा देने का निर्णय लिया। नतीजतन, खान को टीआई के पद से हटाकर एसआई बना दिया गया। उन्हें अगले आदेश तक किसी थाने का प्रभार नहीं सौंपा गया है।
विभागीय प्रतिक्रिया
पुलिस मुख्यालय के सूत्रों के अनुसार, "हमारे लिए विभाग की छवि सर्वोपरि है। कोई भी अधिकारी यदि नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे कार्रवाई का सामना करना होगा, चाहे आरोप साबित हों या नहीं। नियमों का पालन करना हर अधिकारी की जिम्मेदारी है।"
इस घटनाक्रम ने पुलिस विभाग के अंदर कार्यप्रणाली और अनुशासन को लेकर फिर से बहस छेड़ दी है। कुछ पुलिसकर्मियों का मानना है कि यदि वसूली के आरोप साबित नहीं हुए, तो इतनी कड़ी सजा उचित नहीं है। वहीं, कई वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि नियमों का उल्लंघन किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
कलीम खान की प्रतिक्रिया
खुद कलीम खान ने इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मैंने कभी कोई गैरकानूनी कार्य नहीं किया। मुझ पर लगाए गए आरोप निराधार थे और जांच में भी यह स्पष्ट हो गया। मुझे केवल यात्रा की अनुमति नहीं लेने पर सजा दी गई, जो एक मामूली गलती थी। मुझे न्याय मिलने की उम्मीद है और मैं इस फैसले के खिलाफ अपील करूंगा।"
आगे क्या?
सूत्रों की मानें तो खान की अपील पर पुनर्विचार की संभावना है, लेकिन विभागीय प्रक्रिया के तहत इसमें समय लगेगा। फिलहाल उन्हें एसआई के पद पर ही काम करना होगा।