रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की हालिया मंजूर की गई 2025 ट्रांसफर पॉलिसी पर सियासी बवाल छिड़ गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने इस नई तबादला नीति पर जोरदार हमला बोलते हुए इसे “कर्मचारियों को लूटने का माध्यम” करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की भाजपा सरकार ने ट्रांसफर की आड़ में भ्रष्टाचार की खुली छूट दे दी है।
बैज ने कहा, “नई ट्रांसफर पॉलिसी 10-12 दिन के लिए भ्रष्टाचार की दुकानें खोलने का काम करेगी। अब हर मंत्री के घर में यह दुकान खुल गई है, जिसमें बोली लगेगी, सैटिंग होगी, और कर्मचारी लूटे जाएंगे।”
शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप
दीपक बैज ने विशेष रूप से शिक्षा विभाग को लेकर गंभीर चिंता जताई। उनका कहना है कि प्रदेश में सबसे बड़ा अमला शिक्षा विभाग का है और युक्तियुक्तकरण के नाम पर स्कूलों को बंद किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “जब स्कूलों का सेटअप तक ठीक नहीं है तो ट्रांसफर नीति कैसे सफल होगी? अभी तक काउंसलिंग भी पूरी नहीं की गई है, उसमें ही भारी भ्रष्टाचार हो रहा है। पोस्टिंग और ट्रांसफर केवल सैटिंग के आधार पर हो रहे हैं।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि शिक्षा व्यवस्था में “भर्राशाही” कायम है और आम कर्मचारी को नहीं बल्कि मंत्रियों और उनके नजदीकियों को इस नीति का सीधा लाभ मिल रहा है।
ट्रांसफर नीति में पूर्व में भी लगे थे भ्रष्टाचार के आरोप
कांग्रेस अध्यक्ष ने याद दिलाया कि पिछली बार ट्रांसफर की प्रक्रिया के दौरान कई विभागों के कर्मचारियों ने खुद आगे आकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा, “यह नई बात नहीं है, ट्रांसफर को लेकर पिछली सरकार के कार्यकाल में भी खुलकर भ्रष्टाचार हुआ था। अब एक बार फिर उसी प्रक्रिया को दोहराया जा रहा है।”
जातिगत जनगणना को लेकर भी केन्द्र पर बरसे बैज
दीपक बैज ने केन्द्र सरकार पर भी निशाना साधा और जातिगत जनगणना में देरी को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने जातिगत जनगणना की मांग को प्रमुखता से उठाया था, लेकिन भाजपा पहले इसका विरोध करती रही। अब जब उन्होंने घोषणा की है कि 2027 से यह प्रक्रिया शुरू होगी, तो सवाल उठता है कि 4 साल की देरी क्यों?”
बैज ने केन्द्र से मांग की कि जातिगत जनगणना को एक साल के भीतर पूरा किया जाए। उन्होंने कहा, “2021 की जनगणना पहले ही 4 साल पीछे चल रही है, अब 2027 तक खींचने का मतलब है कि सरकार इसे टालना चाहती है।”
राजनीतिक विश्लेषण:
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रांसफर नीति और जातिगत जनगणना जैसे मुद्दों को लेकर कांग्रेस आने वाले चुनावों में सरकार को घेरने की रणनीति बना रही है। कर्मचारी वर्ग में नई नीति को लेकर पहले ही असमंजस की स्थिति बनी हुई है और विपक्ष इस असंतोष को हवा देने की कोशिश कर रहा है।