प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार का खुलासा: चंद्र निर्माण प्रा. लि. ब्लैकलिस्ट, निगम आयुक्त ने की बड़ी कार्रवाई


 

ब्लैकलिस्ट

भिलाई। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत भिलाई नगर निगम क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्य में भारी लापरवाही और अनियमितता सामने आई है। सात वर्षों से अधूरे पड़े इन आवासों के कारण सैकड़ों हितग्राही अपने घर की आस लगाए बैठे हैं। निर्माण कार्य की जिम्मेदारी निभा रही एजेंसी मेसर्स चंद्र निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को निगम ने अब ब्लैकलिस्ट कर दिया है।

7 साल में भी नहीं बन पाए मकान, आयुक्त ने जताई नाराजगी
भिलाई नगर निगम के अनुसार, वर्ष 2018 में रायपुर की एजेंसी चंद्र निर्माण को 2014 मकानों का निर्माण करने का ठेका दिया गया था। शर्तों के अनुसार, कंपनी को 18 महीने में निर्माण कार्य पूरा कर मकान हैंडओवर करने थे। लेकिन आज सात साल बीतने के बाद भी कार्य अधूरा है। निगम आयुक्त ने जब इस मामले की सच्चाई जानी तो वे स्वयं निरीक्षण के लिए पहुंचे। मौके पर उन्होंने निर्माण कार्य को न केवल अधूरा बल्कि गुणवत्ता विहीन भी पाया।

420 मकानों में नहीं है मूलभूत सुविधाएं
निगम अधिकारियों की रिपोर्ट के अनुसार, 420 मकानों में ग्रील, दरवाजे, खिड़कियां, टाइल्स, बिजली-पानी की फिटिंग, किचन व सैनेटरी इंस्टॉलेशन आदि आवश्यक सुविधाएं अब तक नहीं लगाई गई हैं। ऐसे में ये मकान अभी भी रहने लायक नहीं हैं।

तीन महीने की देरी से शुरू हुआ काम, फिर भी नहीं हुआ पूरा
जानकारी के अनुसार, चंद्र निर्माण कंपनी ने ठेका मिलने के बाद काम शुरू करने में तीन महीने की देरी की थी। इसके बावजूद निगम से समय-समय पर भुगतान भी लिया। लेकिन निर्माण में गंभीर लापरवाही बरती गई और तय समयसीमा में कार्य नहीं किया गया।

18 बार नोटिस, फिर भी नहीं सुधरी एजेंसी
निगम द्वारा अब तक एजेंसी को 18 बार नोटिस जारी किए जा चुके हैं, जिसमें समयसीमा में कार्य पूरा करने की चेतावनी दी गई थी। बावजूद इसके कंपनी ने केवल 40 हितग्राहियों को ही मकान पूर्ण रूप से सौंपे हैं।

ब्लैकलिस्ट के साथ हो सकती है कानूनी कार्रवाई
निगम ने चंद्र निर्माण को अब ब्लैकलिस्ट कर दिया है। साथ ही पूरे मामले की जांच के संकेत भी दिए गए हैं। निगम सूत्रों के अनुसार, इस लापरवाही के चलते एजेंसी पर आगे कानूनी कार्रवाई भी संभव है।

हितग्राही परेशान, घर की आस अधूरी
इस लापरवाही का खामियाजा वे सैकड़ों लोग भुगत रहे हैं, जो इस योजना के तहत अपना घर पाने की उम्मीद कर रहे थे। सात वर्षों बाद भी अधूरे निर्माण ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया है।

भविष्य में ऐसी लापरवाहियों पर अंकुश लगाने के लिए निगम ने निगरानी प्रक्रिया को और सख्त करने का निर्णय लिया है। वहीं हितग्राहियों को जल्द राहत दिलाने के लिए वैकल्पिक एजेंसी के जरिए कार्य पूरा करने की संभावना भी तलाशी जा रही है।

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