रतनपुर में कछुओं की मौत बनी जनआक्रोश की चिंगारी: नगर बंद, आंदोलन की चेतावनी; ट्रस्ट पर पक्षपात का आरोप
छत्तीसगढ़ की धार्मिक नगरी रतनपुर इन दिनों पर्यावरण संकट और प्रशासनिक उदासीनता का केंद्र बन गई है। महामाया मंदिर परिसर में लगातार हो रही कछुओं की मौतों ने जहां लोगों को झकझोर कर रख दिया है, वहीं वन विभाग और महामाया ट्रस्ट की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं
अब तक 27 कछुओं की मौत, जांच अधर में
बीते 25 मार्च को महामाया मंदिर परिसर के कुंड में 23 कछुओं की मौत से सनसनी फैल गई थी। अभी जांच जारी ही थी कि 8 अप्रैल को परिसर के कल्पेशरा तालाब में 4 और कछुओं की मौत हो गई। कुल आंकड़ा अब 27 पहुंच चुका है। लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है और कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है।
न्याय नहीं, दिखावा कर रहा वन विभाग?
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि वन विभाग ने केवल दो मछुआरों को आरोपी बना कर जेल भेज दिया है, जबकि असली दोषियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। तीन अन्य आरोपी फरार हैं, जिनमें ट्रस्ट का उपाध्यक्ष सतीश शर्मा भी शामिल है। लोगों का सवाल है कि ट्रस्ट के अन्य पदाधिकारियों से पूछताछ क्यों नहीं की गई?
क्या सफाई के नाम पर हो रही है पक्षपातपूर्ण कार्रवाई?
सतीश शर्मा ने खुद बयान में कहा कि कुंड की सफाई समिति के निर्णय के तहत यह कार्य हुआ था। ऐसे में ट्रस्ट के अन्य जिम्मेदार लोग भी इस निर्णय का हिस्सा रहे होंगे। लेकिन वन विभाग की कार्रवाई केवल एक दिशा में ही सीमित है, जिससे ट्रस्ट को बचाने का आरोप खुलकर सामने आ गया है।
रतनपुर बंद: जनता का फूटा गुस्सा
रविवार को आक्रोशित लोगों ने रतनपुर पूरी तरह बंद करा दिया। दुकानें बंद रहीं, लोग सड़कों पर उतरे और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग करते रहे। आंदोलनकारियों ने तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा और चेतावनी दी — यदि जल्द निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो उग्र आंदोलन छेड़ा जाएगा।