रायपुर में सीवरेज गड्ढे बना मौत का जाल: 24 घंटे में दो हादसे, 7 साल के मासूम की डूबकर मौत, निगम की लापरवाही से भड़के लोग

रायपुर में सीवरेज गड्ढे बना मौत का जाल: 24 घंटे में दो हादसे, 7 साल के मासूम की डूबकर मौत, निगम की लापरवाही से भड़के लोग

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में नगर निगम की लापरवाही एक मासूम की जान ले गई। रविवार को गुलमोहर पार्क, रामनगर में खुले सीवरेज टैंक के गड्ढे में तीन बच्चे गिर गए, जिनमें से 7 वर्षीय दिव्यांश कुम्हार की दर्दनाक मौत हो गई। दो अन्य बच्चों को स्थानीय लोगों ने समय रहते बचा लिया, लेकिन इस हादसे ने कॉलोनीवासियों को झकझोर कर रख दिया है।



खुले गड्ढे से मौत का मंजर

हादसा गुढ़ियारी थाना क्षेत्र का है। ईडब्ल्यूएस कॉलोनी में नगर निगम द्वारा खोदा गया सीवरेज गड्ढा बारिश और लीकेज के चलते पानी से भर गया था। पास में खेल रहे तीन मासूम उस गड्ढे में जा गिरे। दो बच्चों को बचा लिया गया, लेकिन दिव्यांश को नहीं बचाया जा सका।

न तो ढक्कन, न चेतावनी बोर्ड

स्थानीय निवासियों का आरोप है कि गड्ढा खोदने के बाद न तो उसे ढका गया और न ही कोई चेतावनी बोर्ड लगाया गया। उन्होंने बताया कि कई बार निगम से शिकायत की गई थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब जब एक मासूम की जान चली गई, तब सवाल उठ रहे हैं।

हादसे के बाद गुस्से में लोग, मुआवजे और कार्रवाई की मांग

घटना के बाद गुस्साए लोगों ने निगम प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और दिव्यांश के परिवार को मुआवजा देने तथा जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। लोगों का कहना है कि ये मौत एक हादसा नहीं, बल्कि लापरवाही का नतीजा है।




शनिवार को भी बची थी एक जान, लेकिन सबक नहीं सीखा

इस दर्दनाक घटना से एक दिन पहले शनिवार को छत्तीसगढ़ नगर में एक 3 साल का बच्चा ऐसे ही एक खुले गड्ढे में गिर गया था। गनीमत रही कि एक बाइक सवार ने उसे डूबता देख लिया और समय रहते उसे बाहर निकाल लिया। यह पूरी घटना सीसीटीवी में भी रिकॉर्ड हुई है।

दोनों हादसों में एक जैसी लापरवाही

दिल दहला देने वाली बात यह है कि दोनों घटनाओं में गड्ढा नगर निगम द्वारा खोदा गया था और दोनों को खुला छोड़ दिया गया था। जनता सवाल कर रही है — आखिर कितनी जानें जाएंगी तब जाकर कोई जागेगा?

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निष्कर्ष:

रायपुर में लगातार दो दिनों में खुले सीवरेज गड्ढों में मासूमों के गिरने की घटनाएं नगर निगम की घोर लापरवाही की ओर इशारा करती हैं। अब समय आ गया है कि जिम्मेदारों को जवाबदेह बनाया जाए, ताकि फिर कोई दिव्यांश इस लापरवाही की कीमत अपनी जान से न चुकाए।


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