जुलाई 16, 2025
छत्तीसगढ़ के कई जिलों में हो रही मूसलाधार बारिश अब जानलेवा साबित हो रही है। धमतरी जिले के सोरम गांव में मंगलवार को खेत में काम कर रही एक महिला पर बिजली गिरने से उसकी मौत हो गई। मृतका की पहचान लताबाई साहू (35) के रूप में हुई है। वहीं खेत में मौजूद दो अन्य महिलाएं प्रमोतिन निर्मलकर और ममता साहू झुलस गईं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह हादसा रुद्री थाना क्षेत्र में हुआ, जब रोपाई के दौरान तेज गरज-चमक और बारिश शुरू हुई।
इधर, बलौदाबाजार जिले के कौआडीह गांव में लगातार बारिश ने हालात बिगाड़ दिए हैं। गांव के चारों ओर बहने वाला कौआडीह नाला उफान पर है, जिससे पूरा गांव टापू में तब्दील हो गया है। यहां वटगन-खरतोल मार्ग पर 2 से 3 फीट तक पानी बह रहा है, जिससे गांव का संपर्क पूरी तरह टूट चुका है। स्कूली बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने स्कूलों को फिलहाल बंद रखने के निर्देश दिए हैं।
7 जिलों में अचानक बाढ़ का खतरा, अलर्ट जारी
मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि छत्तीसगढ़ के सात जिलों — सरगुजा, सूरजपुर, जशपुर, रायगढ़, कोरिया, कोरबा और बलरामपुर — में अगले 24 घंटे के भीतर अचानक बाढ़ की आशंका है। बलरामपुर में ‘ऑरेंज अलर्ट’ जबकि अन्य जिलों में ‘येलो अलर्ट’ जारी किया गया है। सूरजपुर और बलरामपुर में बीते 24 घंटे में भारी वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
रायपुर और दुर्ग में भी प्रभाव
राजधानी रायपुर में देर रात से सुबह तक बारिश होती रही। दुर्ग में मंगलवार को प्रदेश का सर्वाधिक अधिकतम तापमान 34.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ, वहीं न्यूनतम तापमान 21.5 डिग्री राजनांदगांव में रहा।
मानसून ने पकड़ी रफ्तार, 388 मिमी तक पहुंचा औसत
राज्य में मानसून जुलाई के पहले पखवाड़े में पूरी तरह सक्रिय रहा। अब तक औसतन 388 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो सामान्य से 5% ज्यादा है। सबसे अधिक वर्षा बलरामपुर में 599.7 मिमी दर्ज की गई है। केवल कोंडागांव, बेमेतरा और सुकमा जिले ही ऐसे हैं जहां औसत से कम वर्षा हुई है।
मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो 17 जुलाई से दक्षिणी छत्तीसगढ़ में भी मानसून की सक्रियता बढ़ेगी और भारी बारिश की संभावनाएं रहेंगी।
आकाशीय बिजली: जानलेवा सच्चाई और मिथक
धमतरी में हुए हादसे ने एक बार फिर आकाशीय बिजली से जुड़े खतरों को उजागर किया है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बिजली कुछ मिली सेकेंड के लिए गिरती है, लेकिन इसका तापमान सूर्य की सतह से भी ज्यादा होता है। यह इंसान के सिर, कंधे और गर्दन पर सबसे अधिक असर डालती है। दोपहर के समय इसकी संभावनाएं सबसे ज्यादा रहती हैं।
कुछ आम मिथकों में कहा जाता है कि बिजली एक ही जगह दो बार नहीं गिरती, जबकि वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार यह कई बार गिर सकती है। रबर या टायर से सुरक्षा की बात भी पूर्णतः सच नहीं है। ज़रूरी है कि गरज-चमक के दौरान लोग खुले खेतों या ऊंची जगहों पर न जाएं और तुरंत सुरक्षित स्थान की ओर रुख करें।
