कोरबा, छत्तीसगढ़ – कोरबा जिले के जंगल क्षेत्र में रविवार को एक बुजुर्ग महिला पर भालू ने अचानक हमला कर दिया। महिला तेंदूपत्ता तोड़ने के लिए जंगल गई हुई थी, तभी यह दर्दनाक घटना घटी। हमले में महिला का एक हाथ गंभीर रूप से जख्मी हो गया। मौके पर मौजूद अन्य ग्रामीणों ने तत्काल डायल-112 को सूचना दी, जिसके बाद पुलिस और स्वास्थ्य टीम ने मौके पर पहुंचकर महिला को प्राथमिक उपचार देने के बाद अस्पताल पहुंचाया।
घटना जिले के हरदीबाजार वन क्षेत्र की बताई जा रही है। 62 वर्षीय फूलबाई (परिवर्तित नाम) प्रतिदिन की तरह तेंदूपत्ता संग्रह के लिए पास के जंगल में गई थीं। वह अपने गांव की अन्य महिलाओं के साथ पत्ते तोड़ रही थीं, तभी अचानक एक भालू झाड़ियों से निकलकर उन पर टूट पड़ा। भालू ने सीधे उनके ऊपर झपट्टा मारा और बायें हाथ को जबड़ों में लेकर नोच डाला। महिला की चीख-पुकार सुनकर आस-पास की अन्य महिलाएं घबरा गईं और शोर मचाने लगीं, जिससे भालू वहां से भाग गया।
घटना के बाद ग्रामीणों ने तुरंत डायल-112 को फोन कर सहायता मांगी। पुलिस और वन विभाग की टीम कुछ ही समय में घटनास्थल पर पहुंची और घायल महिला को सुरक्षित रूप से वहां से निकालकर पास के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। डॉक्टरों के अनुसार महिला के हाथ में गहरे जख्म हैं और उन्हें उचित उपचार के लिए जिला अस्पताल रेफर किया गया है। प्राथमिक उपचार के दौरान महिला बहुत दर्द में थी लेकिन खतरे से बाहर बताई जा रही है।
वन विभाग ने जारी की चेतावनी
घटना के बाद वन विभाग ने स्थानीय ग्रामीणों को सतर्क रहने की अपील की है। अधिकारियों का कहना है कि इन दिनों जंगलों में तेंदूपत्ता संग्रह का कार्य तेजी से चल रहा है, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं। गर्मी के मौसम में पानी और भोजन की तलाश में भालू और अन्य जंगली जानवर अक्सर बस्तियों के पास या काम कर रहे लोगों के करीब आ जाते हैं।
वन परिक्षेत्र अधिकारी ने बताया, "हमने संबंधित क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी है और ग्रामीणों को अकेले जंगल में न जाने की सलाह दी है। साथ ही, वन्यजीवों से संबंधित किसी भी गतिविधि की सूचना तुरंत वन विभाग या पुलिस को देने का अनुरोध किया है।"
ग्रामीणों में भय का माहौल
इस हमले के बाद आसपास के गांवों में भय का माहौल बन गया है। ग्रामीणों का कहना है कि तेंदूपत्ता ही उनकी आजीविका का मुख्य साधन है और यदि सुरक्षा नहीं दी गई, तो उन्हें जंगल में जाना बहुत खतरनाक होगा। कुछ लोगों ने यह भी मांग की है कि वन विभाग जंगल में काम कर रहे लोगों को पर्याप्त सुरक्षा साधन जैसे सायरन, लाठी या अलार्म उपकरण उपलब्ध कराए।
सरकारी सहायता की मांग
पीड़ित महिला के परिजनों ने शासन से आर्थिक सहायता की मांग की है। उनका कहना है कि महिला के इलाज में खर्च आने की संभावना है और वे आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं। इस पर स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि घटना की रिपोर्ट तैयार की जा रही है और शासन स्तर पर मुआवजा दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
इस प्रकार, कोरबा जिले में एक बार फिर मानव-वन्यजीव संघर्ष का दुखद उदाहरण सामने आया है। यह घटना बताती है कि जंगल में काम करने वालों की सुरक्षा को लेकर तत्काल और ठोस कदम उठाना बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।