छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार पर वार: 14 महीने में 26 अधिकारी ACB के शिकंजे में


 

रायपुर | छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और ईओडब्ल्यू (EOW) की कार्रवाई लगातार तेज हो रही है। बीते 14 महीनों में ACB ने पूरे प्रदेश में 26 रिश्वतखोर अधिकारियों और कर्मचारियों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। इनमें पटवारी, पंचायत सचिव, सहायक ग्रेड-3, उपयंत्री, और यहां तक कि नगर पालिका के CMO (मुख्य नगर पालिका अधिकारी) तक शामिल हैं।

ACB के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2024 से फरवरी 2025 तक इन कार्रवाइयों के दौरान जिन जिलों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले सामने आए, उनमें रायगढ़ पहले स्थान पर है, जहां सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए। कोरबा दूसरे नंबर पर रहा, जबकि बिलासपुर, दुर्ग और रायपुर में भी ACB ने कई मामलों में शिकंजा कसा है।

कौन-कौन फंसे ACB के जाल में?

ACB की रिपोर्ट के मुताबिक, इन 14 महीनों में पकड़े गए 26 आरोपियों में विभिन्न विभागों के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। इनमें से 8 पटवारी, 4 पंचायत सचिव, 3 उपयंत्री, 2 CMO, 2 क्लर्क, 1 इंजीनियर और अन्य कर्मचारी हैं।

  • पटवारियों की भूमिका पर सवाल: सबसे अधिक मामले राजस्व विभाग से जुड़े रहे हैं, जहां पटवारियों को जमीन नामांतरण, नक्शा निर्माण या खसरा की नकल देने के एवज में रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया।

  • नगरीय निकाय भी घेरे में: नगरपालिकाओं के CMO और इंजीनियरों पर निर्माण कार्य की स्वीकृति या भुगतान के लिए रिश्वत मांगने के आरोप लगे हैं।

  • पंचायत सचिव भी पीछे नहीं: मनरेगा, शौचालय निर्माण और आवास योजनाओं में लाभ देने के बदले पैसे मांगने के आरोपों में पंचायत सचिव भी पकड़े गए।

कैसे होती है कार्रवाई?

ACB में दर्ज शिकायतों के आधार पर पहले जांच की जाती है। शिकायत की पुष्टि होने पर ट्रैप की योजना बनाई जाती है। इसके तहत शिकायतकर्ता को नकली नोट दिए जाते हैं, जिन पर कैमिकल मार्किंग होती है। जैसे ही आरोपी रिश्वत की राशि स्वीकार करता है, तुरंत टीम उसे रंगे हाथों पकड़ लेती है।

रायगढ़ बना ‘हॉटस्पॉट’

पिछले 14 महीनों में ACB ने अकेले रायगढ़ जिले में 8 मामले दर्ज किए हैं। इनमें से 3 पटवारी, 2 पंचायत सचिव, 1 CMO और अन्य कर्मचारी शामिल रहे। स्थानीय लोगों के अनुसार, जमीन और सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की शिकायतें यहां आम हैं।

कोरबा में 5 मामलों में ACB की टीम ने कार्रवाई की। बिलासपुर और रायपुर में 3-3 जबकि दुर्ग में 2 मामले सामने आए।

ACB का बयान

ACB के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम छापने की शर्त पर बताया, "हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। हर शिकायत की गंभीरता से जांच की जाती है और दोषियों को सजा दिलाने का प्रयास किया जाता है। जनता की भागीदारी हमारे लिए सबसे जरूरी है।"

क्या कहती है जनता?

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि भ्रष्टाचार अब भी कई विभागों में गहराई से फैला हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को अब भी प्रमाण पत्र, नक्शा, आवास, पेंशन या शौचालय योजना का लाभ पाने के लिए कर्मचारियों को ‘कुछ देना’ पड़ता है।

रामेश्वर साहू, जो कि रायगढ़ के एक किसान हैं, कहते हैं, "हमसे पटवारी ने नक्शा बदलने के लिए ₹5,000 मांगे। मैंने इसकी शिकायत की और बाद में वो पकड़ा गया। अब लोगों में जागरूकता बढ़ रही है।"

आगे की रणनीति

ACB अब ट्रैप के साथ-साथ डिजिटल निगरानी और सतर्कता प्रणाली को भी मजबूत कर रही है। विभागीय अधिकारियों को चेतावनी दी गई है कि भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। ACB का लक्ष्य है कि जनता का विश्वास बहाल हो और भ्रष्ट अधिकारियों को उनके पद से हटाकर कानून के शिकंजे में लाया जाए।

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