प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों पर सरकार ने सख्ती बढ़ा दी है। गृह विभाग ने हाल ही में एक नई गाइडलाइन जारी की है, जिसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार (रोहिंग्या) के अवैध प्रवासियों को चिन्हित कर 30 दिनों के भीतर देश से डिपोर्ट किया जाएगा। इसके लिए प्रदेश के हर जिले में "होल्डिंग सेंटर" स्थापित किए जाएंगे, जहां इन घुसपैठियों को रखने की व्यवस्था की जाएगी जब तक कि उनकी वापसी की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती।
अवैध घुसपैठ पर जीरो टॉलरेंस नीति
गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह फैसला देश की आंतरिक सुरक्षा, सामाजिक संतुलन और संसाधनों की रक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। गाइडलाइन में स्पष्ट किया गया है कि अवैध रूप से रह रहे पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों को अब बख्शा नहीं जाएगा।
सभी जिलों को यह निर्देश दिया गया है कि 15 दिनों के भीतर ऐसे सभी संदिग्ध नागरिकों की पहचान कर सूची तैयार करें। इसके बाद होल्डिंग सेंटरों में उन्हें रखा जाएगा और 30 दिन की समयसीमा के भीतर संबंधित देश को सुपुर्द किया जाएगा।
3 देशों के नागरिक विशेष निगरानी में
गृह विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश, पाकिस्तान और म्यांमार से अवैध रूप से आए नागरिकों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई है। रोहिंग्या समुदाय के कई सदस्य बिना वैध दस्तावेजों के प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे हैं। ऐसे लोग अक्सर झुग्गी-बस्तियों में रहते हैं और कभी-कभी अपराध या आतंकी गतिविधियों में शामिल पाए जाते हैं।
गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि जिला प्रशासन, स्थानीय पुलिस और खुफिया एजेंसियां मिलकर संयुक्त रूप से अभियान चलाएं और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रह रहे लोगों को तत्काल गिरफ्तार करें।
होल्डिंग सेंटरों की विशेष व्यवस्था
हर जिले में बनाए जा रहे होल्डिंग सेंटर जेल जैसे नहीं होंगे, बल्कि इनमें मानवाधिकारों का पालन करते हुए सीमित अवधि के लिए आवास की व्यवस्था की जाएगी। इन सेंटरों में पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात रहेंगे। मेडिकल जांच, खान-पान और मूलभूत सुविधाओं का भी ध्यान रखा जाएगा।
इन केंद्रों से किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और नियमित निगरानी रखी जाएगी।
कानूनी प्रक्रिया में तेजी
गृह विभाग की नई गाइडलाइन के अनुसार, डिपोर्टेशन प्रक्रिया में देरी न हो इसके लिए विदेशी नागरिक अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट अधिनियम, 1920 के तहत कार्रवाई को और प्रभावी बनाया गया है। ऐसे व्यक्तियों की गिरफ्तारी के बाद फास्ट-ट्रैक कोर्ट में केस चलाया जाएगा ताकि जल्दी निर्णय लिया जा सके।
फर्जी दस्तावेजों की होगी जांच
राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन लोगों के पास आधार कार्ड, राशन कार्ड या किसी भी प्रकार के पहचान पत्र हैं, उन्हें गंभीरता से जांचा जाएगा। यदि ये दस्तावेज फर्जी पाए जाते हैं, तो उन्हें बनाने वाले अधिकारियों या बिचौलियों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सामाजिक संगठनों से सहयोग की अपील
सरकार ने समाजसेवी संगठनों, गैर-सरकारी संस्थाओं और नागरिकों से अपील की है कि वे ऐसे लोगों की पहचान में प्रशासन की मदद करें। यदि किसी को अपने क्षेत्र में विदेशी मूल का व्यक्ति संदिग्ध गतिविधियों में शामिल लगता है, तो वह तुरंत पुलिस को सूचित करे।
विपक्ष ने उठाए सवाल
हालांकि विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इसे मानवीय नजरिए से भी देखा जाना चाहिए। कई रोहिंग्या और बांग्लादेशी शरणार्थी वर्षों से भारत में रह रहे हैं और अब उनका जीवन यहीं बस चुका है।
लेकिन सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और अवैध घुसपैठ किसी भी रूप में स्वीकार नहीं की जाएगी।