"पक्के घर की आस में भटकती ज़िंदगी: बुज़ुर्ग महिला की आख़िरी तमन्ना—एक छत मिल जाए"


 

रायगढ़, छत्तीसगढ़: 65 वर्षीय ध्याना बाई बरेठ, जो वर्षों से सड़क पर जीवन बिता रही हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) का लाभ न मिल पाने से परेशान हैं। चक्रधर नगर इलाके में शनि मंदिर के पास रहने वाली इस वृद्धा का कहना है कि उन्हें आवास आवंटित तो हुआ, लेकिन 2.73 लाख रुपये जमा न कर पाने के कारण वह इसे प्राप्त नहीं कर पा रही हैं।

सरकारी दफ्तरों के चक्कर, पर कोई सुनवाई नहीं

ध्याना बाई ने बताया कि वह कई बार रायपुर जाकर मंत्रियों से मिलने की कोशिश कर चुकी हैं, लेकिन हर बार उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। उन्होंने कहा, "मैंने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को पत्र लिखकर गुहार लगाई है कि मेरी मदद की जाए। मैं सिर्फ एक छत चाहती हूँ, ताकि बुढ़ापे में सुरक्षित रह सकूँ। मेरी मौत के बाद सरकार इस मकान को वापस ले सकती है।"

पति ने छोड़ा, अब सड़क पर जीवन

ध्याना बाई का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। सालों पहले पति ने मारपीट कर उन्हें छोड़ दिया, जिसके बाद से वह सड़क पर रहने को मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि कई बार चोरों ने उनका सामान लूटा और सड़क पर छेड़छाड़ का भी शिकार होना पड़ा। एक बार तो वह मजदूरी करने जम्मू-कश्मीर गईं, लेकिन वहाँ उनके गहने और पैसे चोरी हो गए।

आवास आवंटन हुआ, लेकिन पैसों की कमी ने रोकी राह

रायगढ़ नगर निगम ने उन्हें चंद्रनगर में एक आवास आवंटित किया था, लेकिन 2.73 लाख रुपये जमा करने की शर्त के कारण वह इसे प्राप्त नहीं कर पाईं। ध्याना बाई के पास वृद्धा पेंशन से मिलने वाली छोटी रकम ही एकमात्र आय का स्रोत है, जिससे इतनी बड़ी राशि जुटाना मुश्किल है।

सरकार से अपील

ध्याना बाई ने सरकार से अपील की है कि उनकी आवास योजना की शर्तों में ढील दी जाए या किसी अन्य सरकारी योजना के तहत उनकी मदद की जाए। उनका कहना है कि वह अब थक चुकी हैं और एक सुरक्षित आशियाना चाहती हैं।

प्रशासन की चुप्पी

रायगढ़ नगर निगम के अधिकारियों से इस मामले में प्रतिक्रिया मांगने पर कोई ठोस जवाब नहीं मिला। ध्याना बाई का कहना है कि वह बार-बार दफ्तर जाती हैं, लेकिन अधिकारी उन्हें टाल देते हैं।

इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है, ताकि इस बुजुर्ग महिला को न्याय मिल सके।


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