कोरबा: जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ने गए ग्रामीणों पर जंगली सूअर का हमला, तीन घायल; युवती की हालत गंभीर
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से एक चिंताजनक घटना सामने आई है जहाँ तेंदूपत्ता तोड़ने जंगल में गए ग्रामीणों पर एक जंगली सूअर ने हमला कर दिया। इस अप्रत्याशित हमले में तीन लोग घायल हो गए, जिनमें एक युवती की हालत नाजुक बताई जा रही है। घटना ग्राम बेलगरी के जंगल की है, जो कि करतला विकासखंड के अंतर्गत आता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंगलवार की सुबह बेलगरी और आसपास के गांवों के कुछ ग्रामीण तेंदूपत्ता तोड़ने के लिए समीपवर्ती जंगल में गए थे। यह क्षेत्र हर साल तेंदूपत्ता संग्रहण के दौरान स्थानीय लोगों की आजीविका का प्रमुख स्रोत बन जाता है। तेंदूपत्ता तोड़ने का यह मौसम कुछ सप्ताहों के लिए होता है, जिसमें सुबह से दोपहर तक ग्रामीण जंगलों में कार्य करते हैं।
इसी दौरान एक जंगली सूअर अचानक झाड़ियों से निकलकर ग्रामीणों पर झपट पड़ा। घटना इतनी तेजी से घटी कि लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। हमले में 22 वर्षीय युवती मीना बाई, 35 वर्षीय पुरुष रामेश्वर और 28 वर्षीय महिला रुक्मणी घायल हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सूअर ने सबसे पहले मीना बाई पर हमला किया, जिससे उसके सिर और शरीर के अन्य हिस्सों पर गहरी चोटें आईं। उसे पास के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहाँ से हालत गंभीर होने पर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
स्थानीय निवासी सुदामा बघेल ने बताया कि मीना बाई को सिर, पीठ और बांह में गंभीर घाव आए हैं। हमला इतना तेज था कि सूअर के दांतों के निशान साफ दिखाई दे रहे थे। वहीं अन्य दो घायल ग्रामीणों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है।
वन विभाग और प्रशासन को घटना की जानकारी दे दी गई है। ग्रामीणों की मांग है कि तेंदूपत्ता संग्रहण के दौरान सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। ग्रामीणों ने बताया कि यह इलाका पहले भी हाथियों और सूअरों की आमद के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार हमला बहुत ही आक्रामक था।
वन विभाग ने शुरू की जांच
वन परिक्षेत्र अधिकारी विनोद चंद्रा ने बताया कि टीम को मौके पर भेजा गया है और पूरे मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि जंगल क्षेत्र में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, इसलिए ऐसे इलाकों में काम करने वालों को सतर्क रहने की जरूरत है। विभाग द्वारा ग्रामीणों को सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाया जा रहा है।
ग्रामीणों की बढ़ती चिंता
घटना के बाद से स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। तेंदूपत्ता संग्रहण से जुड़े कई लोग अब जंगल जाने से डर रहे हैं। यह उनके रोज़गार का समय होता है, लेकिन सुरक्षा की अनदेखी के कारण जान जोखिम में डालनी पड़ रही है।
ग्राम पंचायत ने वन विभाग से मांग की है कि तेंदूपत्ता तोड़ने वालों के लिए गार्ड की व्यवस्था की जाए या फिर वन्यजीवों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन या कैमरे लगाए जाएं।
मानव-वन्यजीव संघर्ष की बड़ी चुनौती
छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में जंगलों के सिमटने और मानव बस्तियों के बढ़ने से वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास पर असर पड़ा है। यही कारण है कि हाथी, तेंदुआ, सूअर जैसे वन्यजीव अब इंसानी इलाकों में भटकने लगे हैं। जंगली सूअर का हमला भी इसी कड़ी का एक हिस्सा माना जा रहा है।
सरकार और प्रशासन के लिए यह एक चेतावनी भरी घटना है कि तेंदूपत्ता जैसे संवेदनशील मौसमों में विशेष सतर्कता और संसाधनों की आवश्यकता है, जिससे ग्रामीणों की सुरक्षा और उनकी आजीविका दोनों सुनिश्चित हो सकें।