रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के कुछ पॉश इलाकों में अवैध वेश्यावृत्ति का धंधा फल-फूल रहा है, जहां कम उम्र की लड़कियों को टारगेट किया जा रहा है। पुलिस और प्रशासन की नाक के नीचे चल रहे इस काले कारोबार में नाबालिग लड़कियों को जबरन झोंका जा रहा है। एक ऐसी ही पीड़िता, 12वीं कक्षा की छात्रा रिया (नाम बदला हुआ), ने बताया कि उसके साथ रेप के बाद उसे दलालों के हवाले कर दिया गया।
पॉश कॉलोनियों में चल रहा अवैध धंधा
रायपुर के शांत और आलीशान इलाकों, जैसे कि सिविल लाइन्स, टेलिबांडा और शंकर नगर, में कई ऐसे अपार्टमेंट और बंगले हैं, जहां अंडरवर्ल्ड के दलाल अवैध वेश्यावृत्ति का कारोबार चला रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां अक्सर अज्ञात युवतियों को देखा जाता है, जिन्हें गाड़ियों में लाया-ले जाया जाता है।
एक स्थानीय दुकानदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "यहां कई बंगलों में रात को अजीबोगरीब हरकतें होती हैं। कभी-कभी लड़कियों के चीखने की आवाज़ भी सुनाई देती है, लेकिन पुलिस कुछ नहीं करती।"
नाबालिग लड़कियों की जिंदगी से खिलवाड़
इस रैकेट में सबसे डरावना पहलू यह है कि इसमें नाबालिग लड़कियों को फंसाया जा रहा है। रिया (17) ने बताया कि उसके साथ क्या हुआ:
"मैं एक कोचिंग सेंटर से घर लौट रही थी कि दो लोगों ने मुझे बाइक पर बैठा लिया। उन्होंने मुझे एक कमरे में बंद करके रेप किया और फोटो खींचकर धमकाया कि अगर मैंने किसी को बताया तो वे मेरी फैमिली को नुकसान पहुंचाएंगे। फिर मुझे एक दलाल को सौंप दिया गया, जो मुझे अलग-अलग जगहों पर ले जाता था।"
रिया को तीन हफ्ते बाद एक सामाजिक कार्यकर्ता की मदद से छुड़ाया जा सका, लेकिन उसकी ज़िंदगी पहले जैसी नहीं रही।
पुलिस और प्रशासन की लापरवाही?
स्थानीय एनजीओ "शक्ति फाउंडेशन" के अध्यक्ष राजीव शुक्ला का कहना है कि उनकी टीम ने पिछले छह महीनों में चार ऐसी मामलों को उजागर किया है, लेकिन पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
"हमने एसपी और महिला आयोग को शिकायत दी, लेकिन हर बार यही कहा जाता है कि जांच चल रही है। सच तो यह है कि इस धंधे में कुछ बड़े नाम शामिल हैं, जिसकी वजह से पुलिस कार्रवाई से बचती है," शुक्ला ने आरोप लगाया।
हालांकि, रायपुर पुलिस का कहना है कि वह इस मामले की गंभीरता को समझती है। एसपी (सिटी) अंकित शर्मा ने बताया, "हमने कुछ संदिग्ध स्थानों पर छापेमारी की है और दो दलालों को गिरफ्तार भी किया है। हम पीड़िताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
कैसे होता है यह धंधा?
जांच में पता चला है कि यह रैकेट कई चरणों में काम करता है:
टारगेटिंग: दलाल स्कूल-कॉलेज जाने वाली लड़कियों या कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि की युवतियों को टारगेट करते हैं।
अपहरण/धोखा: कुछ लड़कियों को जबरन उठा लिया जाता है, तो कुछ को नौकरी या शादी का झांसा देकर फंसाया जाता है।
ब्लैकमेल: उनकी अश्लील तस्वीरें लेकर या परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी देकर उन्हें मजबूर किया जाता है।
ट्रैफिकिंग: इन लड़कियों को अलग-अलग शहरों में भेजकर क्लाइंट्स को सप्लाई किया जाता है।
क्या है समाधान?
सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस समस्या से निपटने के लिए:
पुलिस को और सख्त कार्रवाई करनी होगी।
सोशल मीडिया और स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाने होंगे।
पीड़िताओं के लिए सुरक्षित रिहैबिलिटेशन सेंटर बनाए जाने चाहिए।