इनक्यूबेटर जला, आग पर काबू पाया गया – कारणों की जांच शुरू


 

रायपुर, 25 मई — अंबेडकर अस्पताल में शनिवार तड़के एक बड़ी दुर्घटना होते-होते टल गई, जब अस्पताल के प्रथम तल पर स्थित क्लिनिकल पैथोलॉजी विभाग के कमरा नंबर 152 में अचानक आग लग गई। आग लगने की घटना सुबह करीब 4:30 बजे सामने आई, जिससे अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी मच गई।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सबसे पहले कमरे से धुआं निकलता दिखाई दिया। वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों और स्टाफ ने तुरंत जाकर स्थिति का जायज़ा लिया तो पाया कि यूरिन टेस्ट लैब में रखी इनक्यूबेटर मशीन से धुआं निकल रहा है। कुछ ही देर में मशीन से आग की लपटें भी उठने लगीं।

सुरक्षाकर्मियों ने बिना देर किए इस घटना की सूचना पुलिस और फायर ब्रिगेड को दी। राहत की बात यह रही कि जिस समय यह घटना हुई, उस कमरे में कोई मौजूद नहीं था और वहां रखे अन्य उपकरणों और फर्नीचर को भी आग से नुकसान नहीं पहुंचा। फायर ब्रिगेड के पहुंचने तक मशीन पूरी तरह जल चुकी थी, लेकिन समय रहते आग पर काबू पा लिया गया।

अस्पताल प्रबंधन ने आग लगने की इस घटना को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। अस्पताल अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने बताया कि प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट को आग लगने का संभावित कारण माना जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने लोक निर्माण विभाग (PWD) के ई एंड एम विभाग से भी विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

क्या है मेडिकल इनक्यूबेटर?

मेडिकल इनक्यूबेटर एक अत्यंत संवेदनशील और महत्वपूर्ण मशीन होती है, जिसका उपयोग मरीजों से लिए गए यूरिन, ब्लड और अन्य सैंपल्स को नियंत्रित वातावरण में सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। इसमें तय तापमान, नमी और ऑक्सीजन स्तर बनाए रखा जाता है ताकि सैंपल्स की गुणवत्ता बनी रहे और सटीक जांच संभव हो सके। ऐसे में इस मशीन का जल जाना न सिर्फ आर्थिक नुकसान है, बल्कि जांच प्रक्रिया को भी प्रभावित कर सकता था।

हालांकि इस हादसे में किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है और न ही अस्पताल की सेवाएं प्रभावित हुई हैं, लेकिन आग लगने की घटना ने अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल जरूर खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पताल जैसी जगहों पर नियमित रूप से इलेक्ट्रिकल उपकरणों की जांच और रखरखाव होना चाहिए ताकि इस तरह की घटनाएं रोकी जा सकें।

फिलहाल, पूरे मामले की जांच जारी है और यह देखा जा रहा है कि इस आग के पीछे लापरवाही का कोई कोण है या नहीं। अस्पताल प्रशासन द्वारा सुरक्षा इंतज़ामों को और अधिक सख्त किए जाने की उम्मीद की जा रही है।


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