रायपुर, छत्तीसगढ़ — पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में प्रशासनिक नियुक्तियों को लेकर उठे विवाद पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने प्रभारी कुलसचिव शैलेन्द्र पटेल की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा है कि पटेल इस पद के लिए निर्धारित शैक्षणिक एवं प्रशासनिक योग्यता को पूरा नहीं करते हैं, अतः उनकी नियुक्ति नियमों के खिलाफ है।
इस प्रकरण की शुरुआत वर्ष 2022 में तब हुई थी जब विश्वविद्यालय के ही एक कर्मी राहुल गिरी गोस्वामी ने शैलेन्द्र पटेल की नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए राज्य सरकार और संबंधित विभागों को शिकायत पत्र सौंपा था। गोस्वामी ने आरोप लगाया था कि कुलसचिव पद के लिए तय योग्यता और प्रक्रिया की अनदेखी कर नियमविरुद्ध तरीके से पटेल को नियुक्त किया गया। इस शिकायत के आधार पर एक प्राथमिकी (FIR) भी दर्ज की गई थी, जिसका हवाला हाईकोर्ट के निर्णय में भी दिया गया है।
6 मार्च 2025 को हुई थी अंतिम सुनवाई
इस मामले की अंतिम सुनवाई 6 मार्च 2025 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में हुई थी, जिसके बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब जारी आदेश में कोर्ट ने साफ कहा है कि शैलेन्द्र पटेल की नियुक्ति "प्रक्रियागत और योग्यता की दृष्टि से दोषपूर्ण" है, और यह विश्वविद्यालय अधिनियम एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के नियमों के अनुरूप नहीं है।
याचिकाकर्ता को झटका, प्रशासनिक प्रक्रिया पर उठे सवाल
हाईकोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने से शैलेन्द्र पटेल को बड़ा झटका लगा है। उन्होंने अपनी याचिका में यह दावा किया था कि उन्हें विश्वविद्यालय प्रशासन ने नियमों के तहत प्रभारी कुलसचिव नियुक्त किया था। वहीं कोर्ट ने इस दावे को नकारते हुए कहा कि कोई भी नियुक्ति केवल 'प्रभारी' के रूप में की जाए या स्थायी, योग्यता की कसौटी पर खरा उतरना आवश्यक है।
शिकायतकर्ता ने जताई संतुष्टि
इस निर्णय के बाद शिकायतकर्ता राहुल गिरी गोस्वामी ने कोर्ट के आदेश पर संतोष जताया है। उन्होंने कहा, "यह न्याय की जीत है। विश्वविद्यालय जैसी शैक्षणिक संस्थाओं में योग्यता और पारदर्शिता सर्वोपरि होनी चाहिए। यह फैसला भविष्य की नियुक्तियों के लिए भी एक संदेश है।"
विश्वविद्यालय प्रशासन की प्रतिक्रिया अभी शेष
फिलहाल पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस विषय पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। सूत्रों के अनुसार विश्वविद्यालय अब नए प्रभारी कुलसचिव की नियुक्ति प्रक्रिया जल्द शुरू कर सकता है।
न्यायालय के इस निर्णय के संभावित प्रभाव
इस फैसले का प्रभाव राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों पर भी पड़ सकता है, जहाँ ऐसे कई मामले लंबित हैं जिनमें नियुक्तियों की वैधता को लेकर सवाल उठते रहे हैं। यह आदेश उच्च शिक्षा संस्थानों में योग्यता आधारित नियुक्तियों की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।