"चॉकलेट के बहाने बच्ची का रेप: छत्तीसगढ़ HC ने कहा, पीड़िता का बयान पर्याप्त, उम्रकैद बरकरार"


 

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक ऐसे मामले में आरोपी की अपील खारिज कर दी है, जहां एक व्यक्ति ने चॉकलेट खिलाने के बहाने एक नाबालिग बच्ची को ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया था। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में पीड़िता का बयान ही दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त होता है, बशर्ते वह विश्वसनीय हो। कोर्ट ने आरोपी को उम्रकैद की सजा बरकरार रखते हुए फैसला सुनाया।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला छत्तीसगढ़ के एक ग्रामीण इलाके का है, जहां आरोपी ने पीड़िता को चॉकलेट देने का लालच देकर अकेले में ले गया और उसके साथ जबरदस्ती की। घटना के बाद बच्ची ने अपने परिवार को सारी बात बताई, जिसके बाद आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और कोर्ट में चार्जशीट पेश की।

ट्रायल कोर्ट ने सभी सबूतों और गवाहों के बयानों के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराते हुए उसे आजीवन कारावास (उम्रकैद) की सजा सुनाई। हालांकि, आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर अपनी सजा को चुनौती दी।

हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि "नाबालिग पीड़िता का बयान, यदि विश्वसनीय और सुसंगत है, तो वह अकेले ही दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त होता है।" कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पीड़िता ने अपना बयान स्पष्ट रूप से दिया था और उसमें कोई विरोधाभास नहीं था।

आरोपी के वकील ने तर्क दिया था कि मामले में कोई सीधा सबूत नहीं है और पीड़िता के बयान पर अतिरिक्त पुष्टि की आवश्यकता है। लेकिन हाईकोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि "यौन अपराधों के मामलों में, विशेषकर नाबालिग पीड़िताओं के मामलों में, अतिरिक्त पुष्टि की आवश्यकता नहीं होती, बशर्ते पीड़िता का बयान विश्वसनीय हो।"

न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाया

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि "छोटे बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी हैं। ऐसे मामलों में न्यायालय का कर्तव्य है कि वह पीड़िता के हितों की रक्षा करे और दोषी को कड़ी सजा सुनाए।"

कोर्ट ने यह भी कहा कि "चॉकलेट या अन्य लालच देकर बच्चों को फुसलाना और फिर उनके साथ दुराचार करना एक जघन्य अपराध है। ऐसे मामलों में आरोपी को कोई रियायत नहीं दी जानी चाहिए।"

आरोपी को उम्रकैद की सजा बरकरार

हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए आरोपी की अपील खारिज कर दी और उम्रकैद की सजा बरकरार रखी। कोर्ट ने कहा कि "इस तरह के अपराधों में कड़ी सजा ही समाज में संदेश जाएगी कि नाबालिगों के साथ दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"

समाज के लिए संदेश

यह फैसला नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों में एक मिसाल कायम करता है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे मामलों में पीड़िता का विश्वसनीय बयान ही दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त है और अतिरिक्त सबूतों की अनिवार्यता नहीं है।

इस मामले ने एक बार फिर समाज के सामने यह सवाल खड़ा किया है कि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। साथ ही, अभिभावकों को भी बच्चों को सतर्क रहने और किसी अजनबी के प्रस्तावों पर भरोसा न करने की सीख देनी चाहिए।

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