बहुचर्चित भारत माला प्रोजेक्ट मुआवजा घोटाले में एक अहम मोड़ आया है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने इस घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक हरमीत खनूजा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इस घोटाले में लगभग 3 करोड़ रुपये की अनियमितता उजागर हुई है, जिसमें सरकारी अधिकारियों और बिचौलियों की मिलीभगत के गंभीर आरोप सामने आए हैं।
क्या है भारत माला प्रोजेक्ट?
भारत माला प्रोजेक्ट केंद्र सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य देशभर में हाईवे नेटवर्क को मजबूत करना है। इस परियोजना के तहत जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों और भूमि मालिकों को मुआवजा दिया जाता है। लेकिन मुआवजे की इस प्रक्रिया में गड़बड़ियों की खबरें लंबे समय से आ रही थीं।
घोटाले की शुरुआत और जांच
EOW ने शुरुआती जांच में पाया कि कई फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से वास्तविक जमीन मालिकों को मुआवजा देने के बजाय बिचौलियों और दलालों को भुगतान कर दिया गया। जांच में यह भी सामने आया कि जमीन की वास्तविक कीमत से कई गुना ज्यादा राशि दर्शाकर सरकार से मोटी रकम वसूल की गई।
हरमीत खनूजा पर आरोप है कि उसने दस्तावेजों में हेरफेर कर अपने नाम पर मुआवजा प्राप्त किया, जबकि संबंधित जमीन किसी और के नाम थी। इस प्रक्रिया में राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों की संलिप्तता की भी आशंका जताई जा रही है।
EOW की कार्रवाई
EOW ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए कई स्थानों पर छापेमारी की। दस्तावेजों की जांच और गवाहों के बयानों के आधार पर हरमीत खनूजा को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां न्यायालय ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
सूत्रों की मानें तो EOW की जांच में कई और नाम सामने आ रहे हैं और जल्द ही इस मामले में कुछ और अहम गिरफ्तारियां हो सकती हैं। EOW अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने वित्तीय लेनदेन, बैंक खातों और रजिस्ट्री दस्तावेजों की गहराई से जांच शुरू कर दी है।
राजनीतिक कनेक्शन की भी जांच
सूत्रों का दावा है कि इस घोटाले के तार कुछ राजनीतिक व्यक्तियों से भी जुड़े हो सकते हैं। हालांकि, EOW ने फिलहाल इस बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। लेकिन यह जरूर कहा गया है कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह किसी भी पद पर क्यों न हो।
किसानों में नाराजगी
घोटाले के खुलासे के बाद स्थानीय किसानों में भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि मुआवजे की राशि पहले ही काफी देरी से दी जाती है, और जब दी भी जाती है तो भ्रष्टाचार के चलते असली हकदारों को कुछ नहीं मिलता। कई किसानों ने सरकार से मांग की है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो और उन्हें न्याय मिले।
आगे की राह
EOW अब इस पूरे प्रकरण की तह तक जाने के लिए डिजिटल फॉरेंसिक, दस्तावेजी साक्ष्य और वित्तीय विश्लेषण की सहायता ले रही है। उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ दिनों में और गिरफ्तारियां होंगी और घोटाले की पूरी परतें खुलकर सामने आएंगी।
इस घोटाले ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि भारत माला जैसी महत्त्वपूर्ण योजना की साख को भी प्रभावित किया है। अब देखना यह है कि जांच एजेंसियां कितनी निष्पक्षता और प्रभावशीलता से इस घोटाले को उजागर कर पाती हैं।