हितग्राहियों के खाद्यान्न का किया बंदरबाट।
बिलासपुर, 6 जून – शहर में शासकीय उचित मूल्य की राशन दुकानों में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। ताजा जांच में खुलासा हुआ है कि चार राशन दुकानों में 18 लाख 50 हजार रुपए से अधिक का चावल, शक्कर और नमक ग़ायब है। इस गड़बड़ी को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने चारों दुकानों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।खाद्य विभाग की टीम ने लगातार मिल रही शिकायतों के बाद इन दुकानों की जांच की थी। भौतिक सत्यापन के दौरान कई क्विंटल खाद्यान्न की कमी पाई गई, जिससे स्पष्ट हुआ कि इन दुकानों में योजनाबद्ध तरीके से खाद्यान्न की हेराफेरी की जा रही थी।
हर दुकान में मिली बड़ी हेराफेरी:
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वार्ड क्रमांक 64, बिरकोना:
यहां की राशन दुकान में 109.27 क्विंटल चावल कम पाया गया, जिसका बाजार मूल्य ₹4,58,553 आंका गया है। -
वार्ड क्रमांक 46, गणेश नगर:
इस दुकान में जांच के दौरान 78.78 क्विंटल चावल और 1.01 क्विंटल शक्कर कम मिली, जिसकी कुल बाजार कीमत ₹2,35,043 है। -
वार्ड क्रमांक 3, उसलापुर (संगवारी मिलन जन कल्याण समिति):
यहाँ 128.50 क्विंटल चावल, 1.75 क्विंटल शक्कर और 2.18 क्विंटल नमक कम मिला। कुल गड़बड़ी की बाजार कीमत ₹5,49,128 बताई गई है। -
वार्ड क्रमांक 47, मोपका (महिला शक्ति खाद्य सुरक्षा समिति):
इस दुकान में 118.70 क्विंटल चावल और 3.23 क्विंटल शक्कर कम पाया गया। जिसकी कीमत ₹5,12,331 आंकी गई है।
पहले भी सामने आ चुकी हैं गड़बड़ियां
इससे पहले शहर के पांच अन्य राशन दुकानों में भी करीब ₹55 लाख के खाद्यान्न की गड़बड़ी सामने आ चुकी है। यह लगातार सामने आ रहे घोटाले प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
विभाग ने लिया एक्शन, आगे की जांच जारी
खाद्य विभाग ने इन चारों दुकानों को निलंबित कर दिया है और दोषियों की पहचान कर उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। विभाग का कहना है कि भविष्य में भी अन्य राशन दुकानों की जांच की जाएगी, ताकि हितग्राहियों को उनका हक मिल सके।
जनता में रोष, पारदर्शिता की मांग
लगातार हो रही इन गड़बड़ियों से जनता में भारी नाराजगी है। लोगों का कहना है कि सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों तक नहीं पहुंच पा रहा है। शहरवासी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने की मांग कर रहे हैं।
यह मामला बिलासपुर में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खामियों को उजागर करता है और यह ज़रूरी बनाता है कि ऐसे मामलों पर समय रहते कार्रवाई हो, ताकि ज़रूरतमंदों तक सरकार की योजनाएं सही रूप में पहुंचे।