पांच महीने से बंद शहर की घड़ी: वक्त थमा, सिस्टम सो गया!


 

धमतरी, छत्तीसगढ़।
धमतरी शहर का ऐतिहासिक घड़ी चौक, जो कि वर्षों से नगर की पहचान रहा है, बीते 5 महीनों से बंद पड़ा हुआ है, जिससे न केवल स्थानीय नागरिकों में नाराज़गी है, बल्कि अब यह मामला सोशल मीडिया पर भी छा गया है। स्थानीय युवक अतुल साहू द्वारा इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया गया एक वीडियो अब वायरल हो चुका है, जिसमें उन्होंने नगर प्रशासन पर सीधा सवाल उठाया है।

वीडियो में युवक ने नगर निगम के महापौर को उनके 213 करोड़ की योजनाओं के लिए धन्यवाद देते हुए यह भी याद दिलाया कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से घड़ी की मरम्मत के लिए विशेष टीम बनाने का वादा किया था। लेकिन ना तो कोई टीम बनी और ना ही मरम्मत की कोई प्रक्रिया शुरू हुई।

हनुमान जी की तुलना से तंज

वीडियो में अतुल साहू ने कहा,

"जैसे हनुमान जी अपनी शक्ति भूल गए थे, वैसे ही हमारे महापौर जी अपने वादे भूल गए हैं।"

उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि घड़ी बंद होना सिर्फ तकनीकी समस्या नहीं है, बल्कि यह धमतरी की गिरती राजनीतिक और प्रशासनिक स्थिति का प्रतीक बन चुका है।

"समय बलवान होता है, इसके साथ राजनीति ना हो"

युवक का यह कथन वीडियो का सबसे प्रभावशाली संदेश बन गया है। उन्होंने कहा कि समय को बंद कर देने से शहर की पहचान को ठेस पहुंच रही है। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब बाहर से आने वाले लोग इस बंद घड़ी को देखते हैं, तो वे धमतरी की घड़ी पर नहीं, बल्कि धमतरी की जनता और प्रशासन पर हंसते हैं।

स्थानीय नागरिकों में रोष

स्थानीय व्यापारियों और नागरिकों ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह चौक धमतरी के मार्केट एरिया का प्रवेश द्वार है, जहां से प्रतिदिन सैकड़ों लोग गुजरते हैं। बंद पड़ी घड़ी लोगों को गलत समय दिखाती है, जिससे उन्हें असुविधा होती है।
एक दुकानदार ने कहा,

"घड़ी एक प्रतीक है – समय, व्यवस्था और संस्कृति का। जब वह ही बंद हो जाए, तो क्या संदेश जाता है?"

प्रशासन की चुप्पी

नगर निगम और जनप्रतिनिधियों की ओर से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, वीडियो की बढ़ती लोकप्रियता और जनता में बढ़ते असंतोष को देखते हुए माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में प्रशासन को इस पर जवाब देना पड़ सकता है।

एक प्रतीक बनती जा रही है यह घड़ी

धमतरी की यह घड़ी 17 साल पहले स्थापित की गई थी और तब से यह शहर की एक प्रमुख पहचान बन चुकी है। अब इसकी खराब स्थिति प्रशासन की निगरानी में आई गिरावट की कहानी कह रही है।

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