कोरबा, छत्तीसगढ़ | 11 जून 2025: कटघोरा थाना क्षेत्र से जुड़ा एक कथित लव जिहाद का मामला अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। मुस्लिम युवक द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि युवती भले ही बालिग हो, परंतु उसके परिजनों की संतुष्टि और सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को मध्यस्थता केंद्र भेजने के निर्देश दिए हैं।
क्या है मामला?
21 अप्रैल 2025 को कटघोरा की एक कॉलेज छात्रा कॉलेज जाने के लिए निकली थी, लेकिन फिर घर नहीं लौटी। परिजनों ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस जांच में पता चला कि छात्रा कोलकाता में तौशीफ मेनन नामक युवक के साथ है, जहां उनका निकाह भी हुआ है। पुलिस ने दोनों को कोरबा लाकर पूछताछ की, लेकिन प्रारंभिक चरण में युवती को युवक के घर भेज दिया गया। बाद में हिंदू संगठनों के दबाव पर उसे सखी सेंटर और फिर शक्ति सदन भेजा गया।
हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका
तौशीफ मेनन ने खुद को युवती का पति बताते हुए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। कोर्ट ने पहले ही याचिकाकर्ता को एक लाख रुपए की जमानत राशि जमा करने का निर्देश दिया था। सोमवार को हुई सुनवाई में युवती और उसके माता-पिता कोर्ट में उपस्थित रहे।
परिजनों का आरोप: पहचान छिपाकर किया निकाह
युवती के परिजनों के वकीलों ने कोर्ट को बताया कि तौशीफ ने अपनी पहचान छिपाकर युवती से निकाह किया है, जो कानूनन गलत है। वहीं युवती ने स्पष्ट रूप से युवक के साथ जाने की इच्छा जताई है।
मध्यस्थता को बताया जरूरी
कोर्ट ने कहा कि युवती बालिग है, लेकिन इस प्रकार के मामलों में सामाजिक और पारिवारिक पक्षों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसलिए युवती की मर्जी के बावजूद मामले को सीधे निर्णय देने की बजाय मध्यस्थता के माध्यम से समाधान की कोशिश की जाएगी।
अगली सुनवाई बुधवार को
कोर्ट ने निर्देश दिया कि मध्यस्थता केंद्र में युवती और उसके परिजनों के बीच संवाद कराया जाए। केंद्र की रिपोर्ट के आधार पर बुधवार को मामले की अगली सुनवाई होगी।