राजनांदगांव, छत्तीसगढ़
मोहड़ रेत घाट गोलीकांड मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जेसीबी और हाईवा मालिक अभिनव तिवारी उर्फ चीनू महाराज को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी पर यह आरोप है कि उसने यह जानते हुए भी अपने वाहन रेत तस्करों को किराए पर दिए, जिससे अवैध खनन में सहायक साधन के रूप में उनका इस्तेमाल हुआ।
वायरल ऑडियो से खुली पुलिस-तस्कर 'सेटिंग' की पोल
इस मामले में सोमनी थाना प्रभारी सत्यनारायण देवांगन को निलंबित कर दिया गया है। सोशल मीडिया पर वायरल एक ऑडियो क्लिप में देवांगन, चीनू महाराज को आश्वासन देते सुने जा सकते हैं कि “तुम्हारा कुछ नहीं होगा, सेटिंग हो जाएगी।” बातचीत में थानेदार जेसीबी और हाईवा छुड़वाने, बयान लेने और नुकसान की भरपाई की बात भी करता है। इस ऑडियो के सामने आने के बाद कार्रवाई तेज हुई।
तीन आरोपी गिरफ्तार, कई अब भी फरार
एएसपी राहुल देव शर्मा ने जानकारी दी कि इस मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पूर्व पार्षद संजय रजक और जेसीबी चालक भगवती निषाद को पहले ही हिरासत में लिया जा चुका है, और अब चीनू महाराज को प्रयागराज के रास्ते पकड़ा गया है।
पुलिस के अनुसार, घटना के दिन आठ आरोपी भिंड-मुरैना क्षेत्र से एक वाहन में सवार होकर मोहड़ घाट पहुंचे थे। वहां मारपीट के बाद करीब छह राउंड फायरिंग हुई। इस दौरान ग्रामीणों ने विरोध करते हुए खदान में बनी रैम्प पर खड़ी जेसीबी मशीन को क्षतिग्रस्त कर दिया। पुलिस को इस मशीन के जरिए ही चीनू महाराज की संलिप्तता के प्रमाण मिले।
ऑडियो की जांच जारी
एएसपी राहुल देव शर्मा ने बताया कि वायरल ऑडियो की जांच चल रही है। इसकी तकनीकी और फॉरेंसिक जांच के बाद ही इसे केस में साक्ष्य के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। पुलिस इस ऑडियो को अहम कड़ी मान रही है।
अवैध रेत खनन पर कार्रवाई
घटना के पीछे मुख्य कारण मोहड़ घाट पर अवैध रेत खनन को रोका जाना बताया जा रहा है। पुलिस के अनुसार, खनन में बाधा डालने पर आरोपियों ने गुस्से में आकर फायरिंग कर दी। इस मामले में अतुल तोमर समेत अन्य फरार आरोपियों की तलाश जारी है। उन्हें पकड़ने के लिए चार अलग-अलग टीमें गठित की गई हैं।
सवालों में पुलिस की भूमिका
इस पूरे घटनाक्रम ने पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वायरल ऑडियो से स्पष्ट है कि थाना प्रभारी की भूमिका निष्पक्ष नहीं रही। अब देखना होगा कि जांच आगे क्या मोड़ लेती है और फरार आरोपी कब पकड़े जाते हैं।
यह मामला न केवल अवैध खनन और फायरिंग की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि पुलिस और रेत माफियाओं के बीच कथित सांठगांठ पर भी प्रकाश डालता है।