छत्तीसगढ़ में मानसून की रफ्तार थमी, उमस और लू से बेहाल लोग


 

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मानसून की शुरुआत तो समय से पहले हो गई थी, लेकिन अब इसकी रफ्तार धीमी पड़ गई है। पिछले छह दिनों से राज्य के अधिकांश जिलों में न बारिश हो रही है और न ही बादल छा रहे हैं। इससे गर्मी और उमस ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है, खासकर रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग संभाग के इलाकों में पारा लगातार 41 से 44 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है।

बस्तर में अटका मानसून, मध्य छत्तीसगढ़ में तेज गर्मी की चेतावनी

मौसम विभाग के अनुसार, मानसून नारायणपुर और कोंडागांव से आगे नहीं बढ़ पा रहा है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आने वाली हवाएं कमजोर पड़ने से मानसून बस्तर अंचल में अटका हुआ है। रायपुर समेत मध्य छत्तीसगढ़ के लोगों को मानसून की पहली बारिश के लिए और इंतजार करना पड़ सकता है।

मौसम विभाग ने 8 से 10 जून तक रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर संभाग के जिलों में दिन का तापमान 42-44 डिग्री तक पहुंचने की संभावना जताई है। वहीं बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों में गरज-चमक, तेज हवाएं (40-50 किमी प्रति घंटा) और बिजली गिरने की आशंका को देखते हुए येलो अलर्ट जारी किया गया है।

बारिश की गति घटी, सिर्फ बस्तर में हल्की बारिश

शनिवार को बस्तर जिले के नानगुर में 20 मिमी बारिश दर्ज की गई है, लेकिन अन्य इलाकों में मौसम सूखा ही रहा। बीते एक सप्ताह में बारिश का आंकड़ा लगातार घटा है। 28 मई को जहां 74 स्थानों पर वर्षा हुई थी, वहीं 4 और 5 जून को कहीं भी वर्षा दर्ज नहीं की गई। इस शुक्रवार को सिर्फ पांच जिलों में मामूली बारिश हुई।

मई में रिकॉर्ड बारिश, अब सिस्टम कमजोर

इस वर्ष मई में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आए मौसम सिस्टम के कारण छत्तीसगढ़ में 360% अधिक वर्षा हुई। 31 में से 24 दिन सक्रिय सिस्टम बने रहे, जिससे मई की गर्मी कम रही और तापमान औसत से नीचे बना रहा। हालांकि अब ये सिस्टम कमजोर हो चुके हैं, जिससे मानसून की गति थम गई है।

छत्तीसगढ़ में 22 से 28 मई के बीच औसतन 53.51 मिमी बारिश दर्ज की गई। जबकि पूरे मानसून सीजन में औसतन 1200 मिमी बारिश होती है। पिछले साल राज्य में कुल 1276.3 मिमी बारिश दर्ज की गई थी।

लंबा चल सकता है मानसून, लेकिन ब्रेक की संभावना बनी

मानसून इस साल 24 मई को ही केरल पहुंच गया था, जो सामान्य तारीख 1 जून से आठ दिन पहले है। इसके अनुसार अगर 15 अक्टूबर तक मानसून लौटता है, तो कुल अवधि 145 दिनों की होगी। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मानसून ब्रेक की स्थिति नहीं बनी तो इसकी शुरुआती बढ़त का फायदा राज्य को मिल सकता है।

बिजली गिरने और गरज-चमक के समय सावधानी जरूरी

मौसम विभाग ने लोगों से अपील की है कि बिजली गिरने और गरज-चमक की स्थिति में खुले मैदान या पेड़ों के नीचे न जाएं। सुरक्षित आश्रय स्थल में रहें, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग न करें, और बिजली की लाइन या पोल से दूरी बनाए रखें।

छत्तीसगढ़ में फिलहाल मानसून की सुस्ती लोगों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ दिनों में स्थिति में सुधार होगा और राज्य को मानसूनी वर्षा का लाभ मिलेगा।

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