दुर्ग, छत्तीसगढ़। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लोन दिलाने का झांसा देकर ग्रामीणों से ठगी करने वाले दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यह मामला दुर्ग जिले के बोरी थाना क्षेत्र का है, जहां फर्जी बैंक अधिकारी बनकर आरोपी गांव-गांव घूमते थे और भोले-भाले ग्रामीणों को ठगते थे।
बोरी थाने में दर्ज शिकायत के अनुसार, बड़े टेमरी गांव निवासी निजेन्द्र बारले ने FIR दर्ज कराई थी। शिकायत में बताया गया कि चेतन कुमार वर्मा नाम का व्यक्ति बैंक ऑफ बड़ौदा का अधिकारी बनकर गांव आया और पीएम आवास योजना के अंतर्गत लोन दिलाने का भरोसा दिलाया। ग्रामीणों से दस्तावेज इकट्ठा करने के बाद आरोपी ने 34 हजार रुपए फोन पे के माध्यम से वसूले, लेकिन लोन न मिलने पर ग्रामीणों को शक हुआ और उन्होंने इसकी शिकायत चौकी लिटिया सेमरिया में दर्ज कराई।
फर्जीवाड़े का पर्दाफाश
एएसपी पद्मश्री तंवर ने बताया कि जांच में चेतन कुमार वर्मा और उसके साथी अतेश गंजीर की भूमिका उजागर हुई। आरोपी चेतन, स्कॉर्पियो वाहन (सीजी 08 बीबी 8804) में सवार होकर गांव-गांव जाकर खुद को बैंक अधिकारी बताता था। वाहन को वह प्रतिदिन 1400 रुपए में किराए पर लेता था। वह ग्रामीणों की एक बैठक बुलाता, प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी देता और फॉर्म भरवाकर उनसे पैसे लेता।
ऑनलाइन ठगी में भी माहिर
पुलिस जांच में सामने आया कि चेतन कुमार ने ठगी की रकम सीधे अपने साथी अतेश गंजीर के बैंक खाते में डलवाई। नकद राशि वह स्वयं रखता था, जबकि ऑनलाइन भुगतान अतेश के खाते में करवाया जाता था। इसके बाद दोनों ठगी की रकम आपस में बांट लेते थे।
गिरफ्तार आरोपी
- चेतन कुमार वर्मा, पिता महेश वर्मा, उम्र 28 वर्ष, निवासी ग्राम तिलईभाठ, जिला राजनांदगांव
- अतेश गंजीर, पिता बालमुकुंद साहू, उम्र 33 वर्ष, निवासी ग्राम फरहद, जिला राजनांदगांव
पुलिस कर रही आगे की जांच
पुलिस का कहना है कि दोनों आरोपियों ने अलग-अलग गांवों में इसी तरह कई ग्रामीणों को ठगा है। अब तक कितने लोगों से कुल कितनी रकम की ठगी हुई है, इसका आकलन किया जा रहा है। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि इनके गिरोह में और कौन-कौन शामिल हो सकता है।
चेतावनी जारी
पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि कोई भी व्यक्ति यदि किसी योजना में सहायता के नाम पर पैसा मांगता है, तो उसकी जानकारी निकटतम थाने को तुरंत दें। सरकारी योजनाओं के तहत किसी भी प्रकार की वित्तीय लेनदेन सीधे अधिकारियों या एजेंसियों से न करें।
यह मामला सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की आड़ में हो रही ठगी का एक और उदाहरण है। पुलिस की सतर्कता और ग्रामीणों की जागरूकता से समय रहते बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है।