सूरज साव, पीडीएस चावल बेचने वाला भाजपा नेता
दुर्ग, छत्तीसगढ़।
दुर्ग जिले में पीडीएस चावल की तस्करी का नेटवर्क तेजी से सक्रिय होता जा रहा है। अब यह केवल अवैध व्यापार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें धमकी और दबाव की घटनाएं भी सामने आने लगी हैं। ऐसा ही एक मामला भिलाई के छावनी थाना क्षेत्र से सामने आया है, जहां एक व्यापारी ने भाजपा नेता सूरज साव के सहयोगियों पर धमकी देने और गाली-गलौज करने का आरोप लगाया है।
पीड़ित व्यापारी दीपक अग्रवाल, जो पावर हाउस जलेबी चौक के पास गल्ले की दुकान चलाता है, ने बताया कि उसकी दुकान पर अक्सर लोग पीडीएस का चावल लाकर बदले में बेहतर क्वालिटी का चावल ले जाते हैं। इसी सिलसिले में उसकी दुकान पर बड़ी मात्रा में पीडीएस चावल एकत्र हो जाता है। दीपक का आरोप है कि भाजपा नेता सूरज साव ने अपनी राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल करते हुए उस पर दबाव बनाया कि वह सारा चावल केवल उसे ही बेचे।
जब दीपक ने सूरज की बात मानने से इनकार कर दिया और चावल किसी अन्य व्यापारी 'काके सरदार' को बेच दिया, तो सूरज साव ने अपने गुर्गे नवीन सिंह के जरिए उसे धमकाना शुरू कर दिया। नवीन ने पहले फोन पर गाली-गलौज की और फिर दीपक की दुकान पर आकर खुलेआम अपशब्द कहे और जान से मारने की धमकी दी। यह घटना वहां मौजूद अन्य व्यापारियों ने भी देखी, जिनके हस्तक्षेप के बाद नवीन वहां से फरार हो गया।
घटना के तुरंत बाद दीपक अग्रवाल अपनी पत्नी के साथ छावनी थाना पहुंचा और लिखित शिकायत दी। हालांकि, थाने में पूरी रात बैठने के बावजूद उसकी शिकायत दर्ज नहीं की गई। दीपक ने दोबारा रविवार को जाकर शिकायत दर्ज कराने की बात कही है।
इस पूरे मामले में विवादित भाजपा नेता सूरज साव का नाम पहले भी पीडीएस चावल की तस्करी से जुड़ चुका है। उसकी गाड़ियों को कई बार वैशाली नगर, सुपेला, स्मृति नगर और पुलगांव क्षेत्रों में पकड़ा गया है। इतना ही नहीं, सूरज साव का एक वीडियो भी हाल ही में वायरल हुआ था, जिसमें वह सत्ता का हवाला देते हुए खुलेआम तस्करी की बात करता नजर आया था। वीडियो में सूरज यह कहते दिखा कि “अब भाजपा की सरकार है, विधानसभा मेरा क्षेत्र है, अब कोई कलेक्टर, एसपी या पत्रकार मुझे नहीं रोक सकता।”
फिलहाल पुलिस की कार्रवाई को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। छावनी थाना प्रभारी मोनिका पांडेय का कहना है कि शिकायत की जांच की जा रही है, लेकिन अब तक एफआईआर दर्ज न होने से स्थानीय व्यापारियों में आक्रोश है।
यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस तरह राजनीतिक दबाव का इस्तेमाल कर अवैध कारोबार को खुलेआम अंजाम दिया जा रहा है।