छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में हो रही मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। बलरामपुर जिले का सकेतवा बांध इन दिनों खतरे की जद में आ गया है, जहां लगातार बारिश के चलते बांध में दरारें पड़ गई हैं और मिट्टी धंसने की घटनाएं सामने आई हैं। प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अलर्ट जारी कर दिया है। बुद्धडीह गांव के 25 से अधिक घरों को एहतियातन खाली करा लिया गया है, वहीं अन्य तीन गांवों में भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
यलो अलर्ट में मौसम बिगड़ने की चेतावनी होती है। गरज-चमक के साथ कहीं-कहीं बारिश हो सकती है।
सकेतवा बांध पर संकट
बलरामपुर जिले में स्थित सकेतवा बांध में लगातार बारिश के बाद गंभीर दरारें उभर आई हैं। बांध की दीवारें कमजोर हो गई हैं और कई स्थानों पर मिट्टी खिसक गई है। ऐसे में यदि बारिश का सिलसिला इसी तरह जारी रहा, तो बांध के टूटने का खतरा बन गया है। इससे आसपास के चार गांव - जमुआटांड, खड़ियामार, बुद्धडीह और डूमरखोरका के लगभग 2000 लोग प्रभावित हो सकते हैं।
एसडीएम आनंद नेताम ने बताया कि पुलिस और एसडीआरएफ की टीम ने रविवार रातभर पानी की निकासी के लिए आउटलेट तैयार किया, लेकिन अब भी खतरा टला नहीं है। प्रशासन की टीम लगातार निगरानी कर रही है और जल स्तर को नियंत्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
खैरागढ़ में बाढ़ से तबाही
तीन दिन की मूसलाधार बारिश ने खैरागढ़ शहर को भी डुबो दिया। मुसका, पिपरिया और आमनेर नदियों का जलस्तर बढ़ने के कारण प्रधानपाठ बैराज डैम का पानी शहर में घुस गया। कलेक्ट्रेट के सामने का इतवारी बाजार पूरी तरह जलमग्न हो गया। ड्रोन वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पूरा शहर पानी में डूबा हुआ है। लोगों के घरों में 5 से 10 फीट तक पानी भर गया, जिससे हजारों लोग बुरी तरह प्रभावित हुए।
धसकुड़ जलप्रपात में हादसा: रील बनाने के चक्कर में युवक घायल
बलौदाबाजार जिले के धसकुड़ जलप्रपात में एक बड़ा हादसा सामने आया है। 18 वर्षीय निखिल साहू अपने दोस्तों के साथ जलप्रपात घूमने गया था और रील बनाने के चक्कर में 40 फीट ऊंचाई से नीचे गिर गया। इस हादसे में उसके शरीर की चार हड्डियां टूट गईं, सबसे अधिक चोट पसलियों में आई है। घटना का लाइव वीडियो भी सामने आया है, जिसमें देखा गया कि बैलेंस बिगड़ने के बाद वह चट्टान से नीचे गिर गया।
दुर्ग जिले में युवक ने जान देकर बचाई जान
दुर्ग जिले के कुम्हारी थाना क्षेत्र में भारी बारिश के कारण नाले में उफान आ गया था। इसी दौरान रामपुर चोरहा नाले में 35 वर्षीय राकेश बंजारे तीन लोगों को बचाने के प्रयास में खुद नाले में कूद गया, लेकिन वह तेज बहाव में बह गया और अब तक लापता है। राकेश पेंटिंग का कार्य करता था और उसे स्थानीय लोग बहादुरी के लिए याद कर रहे हैं।
रायगढ़ में स्टॉप-डैम टूटा, कई गांवों का संपर्क कटा
रायगढ़ जिले में कुरकुट नदी पर बने स्टॉप डैम का रिटर्निंग वॉल बारिश के दबाव से बह गया। इसके कारण कारीछापर से घरघोड़ी समेत चार गांवों का संपर्क टूट गया है। लोगों को अब 5 किलोमीटर की दूरी के लिए 30 किलोमीटर घूमकर जाना पड़ रहा है। वहीं लैलूंगा ब्लॉक के ग्राम पंचायत चिराईखार में पुलिया बहने से कोल्हियापारा, मनिहार पारा और भदरापारा जैसे इलाकों का संपर्क पूरी तरह टूट गया है।
राज्य भर में रिकॉर्ड तोड़ बारिश
छत्तीसगढ़ में पिछले 28 दिनों में 430 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। जबकि 1 जून से अब तक 599.6 मिलीमीटर औसत वर्षा हो चुकी है। बलरामपुर जिले में सबसे ज्यादा 929.5 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है, जबकि बेमेतरा में सबसे कम 299.8 मिमी। जुलाई माह में यह दूसरी बार है जब बारिश का आंकड़ा 400 मिमी से पार गया है। 2023 में 566.8 मिमी और 2016 में 463.3 मिमी बारिश दर्ज की गई थी।
मौसम विभाग का यलो अलर्ट
सोमवार को मौसम विभाग ने रायपुर, बलौदाबाजार, बलरामपुर, कोरिया, रायगढ़, सरगुजा, कबीरधाम और जशपुर जिलों के लिए यलो अलर्ट जारी किया है। इन इलाकों में भारी बारिश और आकाशीय बिजली गिरने की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग का कहना है कि 30 जुलाई के बाद मानसून फिर तेज हो सकता है, हालांकि दो दिन तक बारिश से थोड़ी राहत मिल सकती है।
आकाशीय बिजली: छत्तीसगढ़ के लिए एक नई चुनौती
राज्य में बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार आकाशीय बिजली का तापमान सूर्य की ऊपरी सतह से भी अधिक होता है और यह मिली सेकेंड से भी कम समय में असर डालती है। यह आमतौर पर सिर, गर्दन और कंधों को प्रभावित करती है। ऐसे में बिजली के खंभों, ऊंचे पेड़ों और टावरों से दूरी बनाना जरूरी होता है।
कुछ आम मिथक जैसे रबर या फोम से बचाव या बिजली का एक जगह दो बार न गिरना, सही नहीं हैं। सावधानी ही एकमात्र उपाय है।
मानसून की लंबी अवधि संभावित
इस साल मानसून सामान्य से 8 दिन पहले यानी 24 मई को केरल पहुंच गया था। आमतौर पर यह 1 जून को पहुंचता है और 15 अक्टूबर को वापस लौटता है। यदि इस बार ब्रेक की स्थिति न बने तो मानसून की कुल अवधि 145 दिन की हो सकती है, जो कृषि के लिहाज से लाभकारी हो सकती है, लेकिन जरूरत है पूर्व तैयारियों और आपदा प्रबंधन की।