दुर्ग/नई दिल्ली।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन से 25 जुलाई को गिरफ्तार की गईं दो कैथोलिक मिशनरी ननों और एक युवक को लेकर देशभर में बहस छिड़ गई है। इन तीनों पर आदिवासी क्षेत्र की तीन युवतियों को उत्तर प्रदेश के आगरा में काम दिलाने के बहाने मानव तस्करी और धर्मांतरण का आरोप है। इस गिरफ्तारी के बाद मामला सियासी रंग ले चुका है। केरल के सांसदों ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया, तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और केसी वेणुगोपाल ने इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ "सिस्टमेटिक उत्पीड़न" करार दिया है।
दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और बजरंग दल ने पूरे घटनाक्रम को गंभीर बताते हुए कहा है कि यह केवल रोजगार नहीं, बल्कि एक साजिश के तहत धर्मांतरण और मानव तस्करी का मामला है। फिलहाल यह मामला पुलिस जांच के अधीन है और गिरफ्तार सभी आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।
क्या है पूरा मामला?
25 जुलाई को सुबह करीब 8:30 बजे दुर्ग रेलवे स्टेशन पर 2 कैथोलिक नन—सिस्टर वंदना और सिस्टर प्रीति—एक युवक सुखमन मंडावी के साथ तीन युवतियों को लेकर आगरा रवाना होने की तैयारी में थे। इसी दौरान बजरंग दल के कुछ कार्यकर्ताओं को एक युवती रोती हुई नजर आई। शक होने पर उन्होंने बातचीत सुनी और युवक को दबाव डालते हुए पाया कि वह लड़की को जाने के लिए मजबूर कर रहा था।
बजरंग दल ने तुरंत तीनों—दोनों सिस्टर्स और युवक को पकड़ लिया और स्टेशन पर हंगामा शुरू कर दिया। सूचना मिलते ही GRP ने सभी को हिरासत में ले लिया। पूछताछ के दौरान आरोप लगे कि ये लोग तीन आदिवासी युवतियों को झांसा देकर आगरा ले जा रहे थे, जहां उनका धर्मांतरण कराया जाना था।
युवतियों की पहचान और बस्तर कनेक्शन
पकड़ी गई तीनों युवतियां नारायणपुर जिले की रहने वाली हैं—कमलेश्वरी प्रधान, ललिता और सुखमति। ये बस्तर अंचल के ओरछा गांव से हैं। आरोप है कि इनसे झूठा वादा कर नर्सिंग ट्रेनिंग और नौकरी दिलाने का लालच देकर आगरा ले जाया जा रहा था।
बजरंग दल की प्रदेश संयोजिका ज्योति शर्मा ने बताया कि आरोपियों के पास से एक डायरी, पादरियों के नंबर, 8-10 लड़कियों की तस्वीरें और तीन आधार कार्ड बरामद किए गए हैं। यह दर्शाता है कि यह केवल एक मामला नहीं बल्कि एक बड़े नेटवर्क की ओर इशारा करता है।
परिवारों का पक्ष
जहां एक ओर आरोप गंभीर हैं, वहीं युवतियों के परिजन इस बात से इनकार कर रहे हैं कि उनकी बेटियों को जबरन ले जाया जा रहा था। कमलेश्वरी प्रधान की मां बुधिया प्रधान ने कहा—"हमने अपनी बेटी को खुद भेजा था ताकि वह आत्मनिर्भर बन सके।" हालांकि, युवती के जीजा अवस लाल धनेलिया ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी और उन्होंने युवतियों को भेजने से मना किया था।
नारायणपुर के ओरछा थाना प्रभारी रॉबिनशन ने भी पुष्टि की कि घरवालों ने पहले किसी प्रकार की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई थी। परिवारों का पक्ष इस मामले को और उलझा देता है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और संसद में विरोध
इस गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने केंद्र और राज्य सरकार पर हमला बोला है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा—"यह न्याय नहीं, भाजपा-आरएसएस का भीड़तंत्र है। यह अल्पसंख्यकों पर सिस्टेमैटिक उत्पीड़न का हिस्सा है। हम ननों की रिहाई की मांग करते हैं।"
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा—"यह केवल एक मामला नहीं है। भाजपा शासन में अल्पसंख्यकों को सिस्टेमैटिक रूप से बदनाम और परेशान किया जा रहा है। कानून का शासन और धार्मिक स्वतंत्रता संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार हैं।"
UDF सांसदों ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया और केंद्रीय गृहमंत्री तथा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। केरल के सांसद केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों में ईसाई मिशनरियों और अल्पसंख्यकों को टारगेट किया जा रहा है।
भाजपा और मुख्यमंत्री का पक्ष
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि मामला कानून के अनुसार चल रहा है और इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए। "बस्तर की बेटियों की सुरक्षा से जुड़ा मामला बेहद संवेदनशील है। हम किसी भी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यदि कोई कानून तोड़ता है तो उस पर कार्रवाई होगी," उन्होंने कहा।
साय ने यह भी बताया कि नारायणपुर के एक व्यक्ति ने तीनों युवतियों को दुर्ग स्टेशन पर मिशनरी सिस्टर्स को सौंपा था और ये सिस्टर्स उन्हें आगरा लेकर जा रही थीं। "इसमें प्रलोभन, धोखाधड़ी और धर्मांतरण का मामला बनता है, जिसकी जांच की जा रही है।"
कांग्रेस की मांग: कार्रवाई सार्वजनिक करें
छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि यह कार्रवाई भाजपा की धर्मांतरण राजनीति का हिस्सा है। उन्होंने मांग की कि सरकार इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई को सार्वजनिक करे। "भाजपा इसे राजनीतिक एजेंडा बनाकर पेश कर रही है," उन्होंने कहा।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा की नीति अल्पसंख्यकों को टारगेट करना है।
आगे क्या?
फिलहाल, दोनों ननों और युवक को हिरासत में रखकर पूछताछ की जा रही है। तीनों युवतियों को भिलाई सखी सेंटर में रखा गया है, जहां उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। पुलिस बरामद दस्तावेजों, डायरी और मोबाइल नंबरों की जांच कर रही है।
यदि आरोप सही साबित होते हैं तो यह मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण की साजिश की ओर इशारा करेगा। वहीं, अगर सबूत न मिले तो यह धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक कार्य से जुड़ी लोगों की स्वतंत्रता का उल्लंघन बन सकता है।