दुर्ग पुलिस ने ‘ऑपरेशन मुस्कान’ में प्रदेश में मारी बाजी, 181 गुमशुदा बच्चों को लौटाया घर


 

दुर्ग। जुलाई 2025 में चलाए गए राज्यव्यापी "ऑपरेशन मुस्कान" अभियान में दुर्ग पुलिस ने अपनी कार्यकुशलता और समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया है। इस अभियान में दुर्ग जिले ने प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त करते हुए 181 गुमशुदा बच्चों को सुरक्षित रूप से उनके परिजनों से मिलाया। इनमें 31 बालक और 150 बालिकाएं शामिल थीं।

अभियान की शुरुआत और रणनीति
अभियान के तहत पुलिस ने प्रत्येक गुमशुदा बच्चे के घर जाकर परिवार से विस्तृत जानकारी जुटाई। बच्चों की अंतिम बार कहां देखे जाने की जानकारी, उनके दोस्तों व रिश्तेदारों के पते, संभावित ठिकानों और संदिग्ध स्थानों की सूची तैयार की गई। इस आधार पर पुलिस ने विशेष टीमों का गठन किया।

पुलिस का अभियान केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं रहा। टीमों ने महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, राजस्थान, झारखंड, मध्यप्रदेश, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश तक पहुंचकर खोजबीन की। इन प्रयासों से कुल 28 बच्चों को राज्य से बाहर से सकुशल बरामद किया गया।

दुर्ग पुलिस की सबसे बड़ी उपलब्धि
"ऑपरेशन मुस्कान" का मुख्य उद्देश्य गुमशुदा बच्चों को खोजकर उन्हें उनके घर सुरक्षित पहुंचाना था। इस दिशा में दुर्ग पुलिस ने पूरे प्रदेश में सबसे अधिक बच्चों को बरामद किया। यह उपलब्धि जिले की पुलिस टीम के सामूहिक प्रयास, सूझबूझ और निरंतर मेहनत का परिणाम है।

सम्मान समारोह में SSP ने की प्रशंसा
अभियान में उत्कृष्ट योगदान देने वाले 8 थाना प्रभारियों को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) विजय अग्रवाल ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। सम्मानित होने वालों में विजय यादव (थाना सुपेला), राजेश मिश्रा (थाना जामुल), आनंद शुक्ला (थाना खुर्सीपार), अंबर भारद्वाज (थाना पुरानी भिलाई), राजेश साहू (थाना मिलाई भट्ठी), राम नारायण ध्रुव (थाना अमलेश्वर), पारस सिंह ठाकुर (थाना नंदनी नगर) और अमित अंदानी (थाना वैशाली नगर) शामिल हैं।

SSP अग्रवाल ने कहा, "गुमशुदा बच्चों को उनके परिवार तक सुरक्षित पहुंचाना पुलिस का मानवीय कर्तव्य है। यह सफलता हमारी पूरी टीम की लगन और समर्पण का नतीजा है।" उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे अभियानों से न केवल बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि उनके परिवारों में विश्वास और राहत की भावना भी जागृत होती है।

परिवारों के चेहरों पर लौटी मुस्कान
अभियान के दौरान कई ऐसे मामले सामने आए, जहां महीनों या वर्षों से लापता बच्चे बरामद हुए। उन्हें देखकर परिजनों की आंखें नम हो गईं और चेहरों पर लंबे समय बाद मुस्कान लौट आई। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बच्चों को सुरक्षित घर पहुंचाने के बाद उनका काउंसलिंग सेशन भी कराया गया, ताकि वे मानसिक रूप से स्थिर रह सकें और भविष्य में सुरक्षित माहौल में अपना जीवन आगे बढ़ा सकें।

भविष्य की योजना और संकल्प
दुर्ग पुलिस ने घोषणा की है कि गुमशुदा बच्चों की खोज के लिए चलाया जाने वाला यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। SSP अग्रवाल ने कहा कि पुलिस विभाग ऐसे अभियानों के माध्यम से समाज में यह संदेश देना चाहता है कि हर बच्चा महत्वपूर्ण है और उसकी सुरक्षा पुलिस की प्राथमिक जिम्मेदारी है।

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