दुर्ग जनपद पंचायत में राशि वितरण विवाद, केंद्र ने मांगी तत्काल जांच रिपोर्ट


 

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में जनपद पंचायत के 15वें वित्त आयोग की राशि के वितरण को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। जनपद पंचायत सदस्य ढालेश साहू ने 8 जुलाई को केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्रालय को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि पंचायतों को आवंटित धनराशि का वितरण संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए किया गया है।

ढालेश साहू का कहना है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी रही और कई पात्र पंचायतों को उनका हक नहीं मिला। शिकायत पर केंद्रीय पंचायत राज मंत्रालय ने तत्काल कार्रवाई करते हुए छत्तीसगढ़ पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजा है। मंत्रालय ने मामले में विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं, साथ ही शिकायतकर्ता को भी कार्रवाई की जानकारी देने को कहा गया है।




विवाद की जड़
यह विवाद 76 लाख रुपए (पिछले कार्यकाल) और 1 करोड़ 59 लाख रुपए (वर्तमान कार्यकाल) की राशि के बंटवारे से जुड़ा है। कांग्रेस समर्थित जनपद सदस्यों का आरोप है कि भाजपा समर्थित 13 सदस्यों ने बहुमत के आधार पर धनराशि अपने-अपने क्षेत्रों में आवंटित कर ली। इससे दुर्ग ग्रामीण जनपद क्षेत्र के 60 गांव विकास कार्यों से वंचित रह गए हैं।

28 मई 2025 को हुई सामान्य सभा में राशि के बंटवारे की जानकारी मिलने के बाद ढालेश साहू ने जनपद अध्यक्ष और सीईओ को आवेदन देकर धनराशि का वितरण जनसंख्या और क्षेत्रफल के अनुपात में करने की मांग की थी। उन्होंने यह भी कहा कि बार-बार आवेदन और पत्र भेजने के बावजूद एक माह तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

जनपद सीईओ पर पक्षपात का आरोप
मामला तब और गरमा गया जब 4 अगस्त को कांग्रेस के 11 जनपद सदस्य विरोध कर रहे थे। इस दौरान जनपद सीईओ रूपेश पांडे ने कथित तौर पर टिप्पणी की, "5 साल इसी तरह भुगतना पड़ेगा।" विपक्षी सदस्यों ने इसे पक्षपातपूर्ण बयान बताते हुए कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और सीईओ पर आरोप लगाए।

शिकायत का सफर केंद्र तक
ढालेश साहू ने कलेक्टर, प्रमुख सचिव और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को भी पत्र भेजे, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर 8 जुलाई को उन्होंने सीधे भारत सरकार के पंचायती राज विभाग को शिकायत भेज दी। उन्होंने आरोप लगाया कि राशि का आवंटन सत्ता पक्ष के सदस्यों को ही किया गया, जिससे विपक्षी क्षेत्रों की उपेक्षा हुई।

केंद्रीय मंत्रालय की सख्ती
शिकायत पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय पंचायत राज मंत्रालय ने राज्य के प्रमुख सचिव से तुरंत जांच रिपोर्ट मांगी है। आदेश की एक प्रति शिकायतकर्ता को भी भेजी गई है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि धनराशि के वितरण में किसी भी तरह का भेदभाव गंभीर मामला है और इस पर पारदर्शी जांच की आवश्यकता है।

अगला कदम
अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि राज्य सरकार और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। अगर जांच में पक्षपात साबित होता है तो जिम्मेदार अधिकारियों और जनपद प्रतिनिधियों पर कार्रवाई संभव है। वहीं, कांग्रेस समर्थित सदस्य इस मुद्दे को बड़े स्तर पर उठाने की तैयारी में हैं।

यह विवाद न केवल स्थानीय राजनीति को प्रभावित कर रहा है, बल्कि पंचायतों में विकास कार्यों की गति और दिशा पर भी सवाल खड़े कर रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं के लिए मिलने वाली राशि का निष्पक्ष वितरण सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है, जिस पर अब केंद्र की सीधी नजर है।

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