छत्तीसगढ़ में शनिवार को शिक्षा विभाग की छवि को धूमिल करने वाले दो गंभीर मामले सामने आए हैं। पहला मामला राजनांदगांव जिले के मोहबा प्राइमरी स्कूल का है, जहां प्रधान पाठक नेतराम वर्मा पर छात्राओं से अश्लील हरकत करने, मोबाइल में आपत्तिजनक फोटो दिखाने और बैड टच करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। जानकारी के अनुसार, कुछ समय से छात्राएं स्कूल जाने से मना कर रही थीं। जब परिजनों ने वजह पूछी तो छात्राओं ने पूरी घटना बताई।
6 अगस्त को हुई पालक समिति की बैठक में यह मामला खुलकर सामने आया। अगले दिन बीईओ को लिखित शिकायत दी गई, जिसके बाद संकुल समन्वयक ने जांच कर रिपोर्ट डीईओ को सौंपी। जांच में आरोप सही पाए जाने पर प्रधान पाठक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर बीईओ डोंगरगढ़ में अटैच कर दिया गया।
इसी प्रकरण में सहायक शिक्षक डीसम प्रसाद तिवारी को भी निलंबित किया गया है। उन पर आरोप है कि वे इस घटना की जानकारी लंबे समय से जानते थे, लेकिन इसे दबाकर आरोपी प्रधान पाठक को संरक्षण देते रहे। स्कूल में कुल 70 छात्र हैं और अब दोनों शिक्षक सस्पेंड हो चुके हैं।
दूसरा मामला बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर ब्लॉक के रूपपुर प्राइमरी स्कूल का है। यहां प्रधान पाठक मनमोहन सिंह पर आरोप है कि वे शराब के नशे में स्कूल पहुंचे और अनुशासनहीन तरीके से बच्चों को पढ़ाने लगे। घटना के समय वे भगवा रंग की टी-शर्ट और हाफ पैंट में थे और टेबल पर पैर रखकर बैठे थे। ग्रामीणों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है, वे पहले भी कई बार नशे में स्कूल आते रहे हैं।
नशे की हालत में हेड मास्टर ने ग्रामीणों को सफाई दी कि उन्हें फ्रैक्चर है और डॉक्टर ने इलाज के लिए शराब पीने की सलाह दी है। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि उनका व्यवहार लगातार बच्चों की पढ़ाई पर नकारात्मक असर डाल रहा है। ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग से तत्काल निलंबन की मांग की है।
ब्लॉक शिक्षा अधिकारी श्याम किशोर जायसवाल ने बताया कि घटना की जांच कर प्रतिवेदन जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर को निलंबन की सिफारिश के साथ भेजा गया है। इससे पहले भी मनमोहन सिंह को दो बार नोटिस जारी किया जा चुका है, लेकिन सुधार नहीं हुआ।
इसी दिन तीसरा मामला रामपुर प्राइमरी स्कूल से भी सामने आया, जहां प्रधान पाठक हेमंत कुमार चंद्रवंशी को शराब के नशे में स्कूल आने और लापरवाह रवैये के आरोप में डीईओ ने निलंबित कर दिया। उनके खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही थीं, जिसके बाद संकुल समन्वयक से जांच कराई गई और रिपोर्ट आने पर कार्रवाई की गई।
इन घटनाओं ने शिक्षा व्यवस्था की साख पर गहरी चोट की है। अभिभावकों का कहना है कि ऐसे मामलों से न केवल बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है, बल्कि उनका मानसिक और सामाजिक विकास भी बाधित होता है। ग्रामीणों और पालक समिति के सदस्यों ने मांग की है कि दोषी शिक्षकों पर सिर्फ निलंबन ही नहीं, बल्कि कड़ी कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सके।
प्रदेश के शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के माहौल से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विभाग ने पुलिस को पत्र भेजकर आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है। फिलहाल मामले की जांच जारी है और संबंधित शिक्षकों पर आगे की कड़ी कार्रवाई की संभावना है।