छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में भुइयां ऐप से जुड़े एक बड़े जमीन घोटाले का खुलासा हुआ है। नंदनी थाना क्षेत्र में पटवारी की लॉग-इन आईडी हैक कर करीब 765 एकड़ सरकारी और निजी जमीन का रिकॉर्ड बदल दिया गया। यह हैकिंग करीब डेढ़ महीने पहले हुई थी, लेकिन इसकी भनक प्रशासन को हाल ही में लगी। फर्जी खसरा नंबर बनाकर जमीनें अलग-अलग लोगों के नाम दर्ज कर दी गईं, जिनमें दिनूराम यादव, एसराम, शियाकांत वर्मा, हरिशचंद्र निषाद, सुरेंद्र कुमार और जयंत समेत कई नाम शामिल हैं। इनमें से कुछ ने जमीनों को बैंक में गिरवी रख लोन भी ले लिया।
जानकारी के अनुसार, दिनूराम यादव ने 25 जून 2025 को एसबीआई नंदनी टाउनशिप ब्रांच से 46 लाख रुपए का लोन लिया, वहीं 2 जुलाई 2025 को एक अन्य व्यक्ति ने कुम्हारी ब्रांच से 36 लाख रुपए का लोन प्राप्त किया। जांच में सामने आया कि इसके पीछे एक बड़ा सिंडिकेट सक्रिय है, जिसके तार रायपुर, जांजगीर-चांपा, रायगढ़ और कोरबा तक फैले हैं।
यह फर्जीवाड़ा मुरमुंदा पटवारी हल्का के चार गांवों में हुआ। मुरमुंदा में 75 हेक्टेयर सरकारी और 22 हेक्टेयर निजी जमीन, अछोटी में 45.304 हेक्टेयर सरकारी और 27.087 हेक्टेयर निजी जमीन, चेटुवा में 87.524 हेक्टेयर सरकारी जमीन और बोरसी में 47.742 हेक्टेयर निजी जमीन को गलत तरीके से दूसरों के नाम दर्ज कर दिया गया। हैरानी की बात यह है कि आईडी हैक होने के बाद भी अधिकारियों और कर्मचारियों को इसकी भनक नहीं लगी।
मीडिया रिपोर्ट के बाद यह मामला दुर्ग संभाग आयुक्त सत्यनारायण राठौर तक पहुंचा। उन्होंने तुरंत जांच शुरू करवाई, जिसके बाद SDM ने धारा 115/16 के तहत गड़बड़ी को ठीक किया। साथ ही एनआईसी से तकनीकी जांच कराई जा रही है ताकि यह पता चल सके कि आईडी हैकिंग किस तरीके से की गई। आयुक्त ने स्पष्ट किया कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी।
डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि 765 एकड़ नहीं, 765 इंच जमीन में भी गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और इसमें शामिल किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। फिलहाल पाटन के पटवारी मनोज नायक और अहिवारा के पटवारी कृष्ण कुमार सिन्हा, जिनकी आईडी से रिकॉर्ड बदले गए थे, को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा 18 अन्य पटवारियों का तबादला भी कर दिया गया है।
साइबर एक्सपर्ट डॉ. संकल्प रॉय ने चेतावनी दी कि सरकारी वेबसाइटों और कर्मचारियों की आईडी-पासवर्ड की सुरक्षा बेहद जरूरी है, क्योंकि जरा सी लापरवाही बड़े नुकसान का कारण बन सकती है। उन्होंने कहा कि अगर किसी फाइल या रिकॉर्ड में बिना अनुमति बदलाव दिखे तो तुरंत आईटी विभाग को सूचना देकर उसकी जांच करवानी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि हैकर्स को ट्रेस करना इस बात पर निर्भर करता है कि उन्होंने हैकिंग का कौन सा तरीका अपनाया है।
यह मामला न केवल साइबर सुरक्षा की कमजोरी को उजागर करता है, बल्कि प्रशासनिक निगरानी में हुई लापरवाही पर भी सवाल उठाता है। जमीन घोटाले से जुड़े ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई और डिजिटल सुरक्षा के कड़े नियमों का पालन ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोक सकता है।