कवर्धा में जमीन विवाद से परेशान बुजुर्ग महिला ने कलेक्ट्रेट में की आत्महत्या का प्रयास, 40 साल से न्याय के लिए भटक रही


 

कवर्धा जिले में गुरुवार को एक भावुक और चौंकाने वाली घटना सामने आई, जब पंडरिया की रहने वाली 65 वर्षीय चेती बाई बघेल अपने हाथ में दस्तावेज और रस्सी लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचीं। महिला का उद्देश्य स्पष्ट था — वह जमीन विवाद से परेशान होकर आत्महत्या करना चाहती थीं। मौके पर मौजूद कर्मचारियों ने त्वरित समझाइश देकर उनकी जान बचाई और रस्सी अपने कब्जे में ले ली।

40 साल से न्याय की तलाश

चेती बाई का कहना है कि वह पिछले चार दशकों से अपनी जमीन के हक के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं। उनकी परेशानी तब शुरू हुई जब जिस सरकारी जमीन पर उन्होंने अपना घर बनाया था, उसे पटवारी सिसोदिया ने किसी अन्य व्यक्ति के नाम कर दिया। महिला का आरोप है कि यह कार्रवाई गलत तरीके से हुई और इसके खिलाफ वह लगातार शिकायत कर रही हैं।

मांग — जमीन का पट्टा या वैकल्पिक जमीन

महिला की स्पष्ट मांग है कि जिस जमीन पर वह रह रही हैं, उसका पट्टा उन्हें दिया जाए। यदि यह संभव नहीं है, तो उन्हें किसी अन्य स्थान पर जमीन आवंटित की जाए, ताकि वह अपना जीवन सम्मानपूर्वक बिता सकें। लेकिन वर्षों से चली आ रही दौड़-धूप के बावजूद उन्हें कोई ठोस समाधान नहीं मिला।

रायपुर तक गुहार, फिर भी अनसुनी

चेती बाई ने बताया कि उन्होंने स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि रायपुर के उच्च अधिकारियों और पंडरिया विधायक तक अपनी शिकायत पहुंचाई है। यहां तक कि पटवारी के लिखित बयान के बावजूद, प्रशासनिक स्तर पर कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं हुई। महिला का कहना है कि अगर उनकी बात नहीं सुनी गई, तो वह आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठाने को मजबूर होंगी।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

घटना के बाद अपर कलेक्टर ने आश्वासन दिया कि महिला की शिकायत दर्ज कर मामले की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि इस मामले को संवेदनशीलता से लिया जाएगा और महिला को न्याय दिलाने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।

मामला क्यों है गंभीर

यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की पीड़ा का मामला नहीं, बल्कि यह प्रशासनिक व्यवस्था में लंबे समय से चली आ रही ढिलाई और विलंब की झलक भी है। 40 साल तक किसी का अपने हक के लिए संघर्ष करना यह दर्शाता है कि आमजन को न्याय पाने में कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

स्थानीय लोगों में नाराजगी

इस घटना के बाद इलाके में चर्चा तेज हो गई है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब एक बुजुर्ग महिला को 40 साल बाद भी अपना अधिकार पाने के लिए आत्महत्या जैसे कदम की सोचनी पड़ रही है, तो यह व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। स्थानीय नागरिकों का मानना है कि प्रशासन को ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि पीड़ित को राहत मिल सके और ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

महिला की वर्तमान स्थिति

फिलहाल, प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद महिला को समझाकर घर भेजा गया है। अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि जांच निष्पक्ष और शीघ्र की जाएगी। हालांकि, महिला का कहना है कि जब तक उसे जमीन का पट्टा या वैकल्पिक जमीन नहीं मिलती, वह अपनी लड़ाई जारी रखेंगी।

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