रायपुर में रक्षाबंधन जैसे पवित्र पर्व पर एक क्लब द्वारा शराब पर ‘बाई वन, गेट वन फ्री’ ऑफर देने का मामला विवादों में आ गया है। यह मामला नया रायपुर स्थित आईपी क्लब से जुड़ा है, जहां 9 अगस्त को ग्राहकों के लिए एक पैग खरीदने पर एक पैग मुफ्त देने का विशेष ऑफर घोषित किया गया था। क्लब ने इसके प्रचार के लिए पोस्टर जारी किया, जिसमें बड़े अक्षरों में ऑफर का उल्लेख किया गया था। यह प्रचार विभिन्न माध्यमों से फैलते हुए बजरंग दल तक पहुंचा, जिसके बाद संगठन ने इसे भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अपमान बताया।
आईपी क्लब के इस प्रचार का बजरंग दल विरोध कर रहा है।
बजरंग दल के पदाधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है और इस दिन शराब का प्रचार करना हमारी संस्कृति का मजाक उड़ाने जैसा है। संगठन के सह संयोजक रवि वाधवानी ने कहा कि यह आयोजन दुर्भाग्यपूर्ण है और क्लब संचालकों को तुरंत इसे रद्द करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह कार्यक्रम आयोजित किया गया तो संगठन विरोध करेगा।
रवि वाधवानी ने आगे कहा कि रायपुर में कुछ क्लब संचालक लगातार सनातन संस्कृति का अपमान कर रहे हैं। उनका आरोप है कि यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी सिमर्स क्लब में ‘फेक वेडिंग’ जैसा आयोजन कर संस्कृति का मजाक बनाया गया था। उस मामले में पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज की थी, लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई।
संगठन का कहना है कि राजधानी में इस तरह की घटनाएं अब एक ट्रेंड का रूप ले रही हैं, जो चिंता का विषय है। उनका मानना है कि पवित्र त्योहारों और धार्मिक भावनाओं का व्यावसायिक लाभ के लिए उपयोग नहीं होना चाहिए। बजरंग दल ने क्लब प्रबंधन से स्पष्ट कहा है कि यदि आयोजन जारी रखा गया तो वे शांतिपूर्ण लेकिन सशक्त विरोध करेंगे।
इस घटना ने शहर में बहस छेड़ दी है। एक पक्ष का कहना है कि व्यावसायिक संस्थानों को प्रचार और ऑफर में त्योहारों की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए, जबकि दूसरा पक्ष इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और व्यावसायिक रणनीति का मामला मानता है। हालांकि, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देखने वाले लोगों के लिए यह मुद्दा बेहद संवेदनशील है, क्योंकि रक्षाबंधन का महत्व भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और रक्षा के वचन से जुड़ा है।
इस पूरे मामले में प्रशासन की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि ऐसे विवाद सामाजिक तनाव को बढ़ा सकते हैं। फिलहाल, पुलिस ने स्थिति पर नजर रखी हुई है और संभावित विवाद को टालने के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कही है।
वहीं, स्थानीय नागरिकों का कहना है कि त्योहार के मौके पर ऐसे ऑफर से बचना चाहिए, क्योंकि ये सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों के खिलाफ हैं। उनका मानना है कि व्यवसायिक लाभ से अधिक जरूरी है कि त्योहारों की आत्मा और परंपराओं का सम्मान हो।
इस विवाद से यह स्पष्ट हो जाता है कि धार्मिक भावनाओं और व्यावसायिक हितों के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। जहां एक ओर व्यापार को अपनी नीतियां बनाने का अधिकार है, वहीं समाज में शांति और सांस्कृतिक सम्मान बनाए रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्लब प्रबंधन इस मामले में क्या रुख अपनाता है और क्या यह आयोजन रद्द होता है या नहीं।