बिलासपुर में मारपीट और चाकूबाजी की दो घटनाएं, पुलिस ने आरोपियों का निकाला जुलूस


 

बिलासपुर शहर में मंगलवार, 12 अगस्त को हिंसा और आपसी विवाद से जुड़ी दो अलग-अलग घटनाएं सामने आईं। दोनों घटनाएं सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र में हुईं और इनमें एक आरक्षक सहित पिता-पुत्र घायल हुए। पुलिस ने दोनों मामलों में त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और शहर में उनका जुलूस निकालकर सख्त संदेश दिया।

पहला मामला – आरक्षक पर हमला, सिर फोड़ा
पहली घटना कश्यप कॉलोनी की है, जहां SP ऑफिस में पदस्थ आरक्षक दिलीप सिंह 12 अगस्त की रात अपने घर के बाहर कार में बैठे परिवार के सदस्यों का इंतजार कर रहे थे। इस दौरान कॉलोनी का ही हिमांशु वर्मा स्कूटी से आया और उनकी कार से टकरा गया। आरक्षक ने उसे सावधानी से गाड़ी चलाने की सलाह दी, लेकिन हिमांशु ने उल्टा गाली-गलौज शुरू कर दी। विवाद बढ़ने पर उसने अपने साथी आयुष वर्मा और धीरज प्रजापति को बुला लिया।

तीनों ने मिलकर आरक्षक पर हमला कर दिया और सिर पर वार कर उन्हें घायल कर दिया। आसपास के लोगों ने बीच-बचाव की कोशिश की तो उनके साथ भी धक्का-मुक्की की गई। इसके बाद आरोपी मौके से फरार हो गए। घायल आरक्षक ने थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई, जिस पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

दूसरा मामला – बाइक टकराने पर पिता-पुत्र पर चाकू से हमला
दूसरी घटना 11 अगस्त की रात की है, जब मोपका निवासी 19 वर्षीय प्रखर शर्मा अपने पिता उमेश शर्मा के साथ बिलासपुर से लौट रहे थे। रात करीब 8 बजे वे जूना बिलासपुर के नागोराव शेष स्कूल के पास पहुंचे ही थे कि फजलबाड़ा निवासी सैफ खान उर्फ सैफू (25) अपनी बाइक से गली से निकला। सामने से आते देख प्रखर ने ब्रेक लगाकर बाइक रोकी, लेकिन सैफ गाली-गलौज करने लगा।

प्रखर के मना करने पर सैफ ने अपने साथी अरमान खान (19) और अमन भौरे (22) को बुलाया। तीनों ने मिलकर मारपीट की और बटन चाकू से प्रखर और उनके पिता पर हमला कर दिया। हमले में पिता उमेश शर्मा घायल हो गए। घटना के बाद आरोपी मौके से भाग निकले। पीड़ित पिता-पुत्र किसी तरह थाने पहुंचे और रिपोर्ट दर्ज कराई।

पुलिस की कार्रवाई और आरोपियों की चाल
रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस ने अगले दिन तीनों आरोपियों को पकड़ लिया और जूना क्षेत्र में उनका जुलूस निकाला। इसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया। इस बीच, गिरफ्तारी से बचने के लिए सैफ ने एक अजीब तरीका अपनाया—उसने खुद पर चाकू से वार कर लिया और थाने पहुंचकर दावा किया कि विवाद के दौरान बीच-बचाव करते समय उसे चोट लगी है। लेकिन पुलिस की पूछताछ में सैफ की कहानी झूठी साबित हुई और वह अपने साथियों के साथ पकड़ा गया।

पुलिस का सख्त रुख
दोनों मामलों में पुलिस ने त्वरित और सख्त कार्रवाई कर यह स्पष्ट संदेश दिया है कि शहर में हिंसक घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आरोपियों का सार्वजनिक जुलूस निकालना और उन्हें जेल भेजना, कानून व्यवस्था बनाए रखने की दिशा में एक कड़ा कदम माना जा रहा है।

इन घटनाओं ने यह भी दर्शाया कि मामूली विवाद किस तरह गंभीर हिंसा का रूप ले सकते हैं और इसका खामियाजा निर्दोष लोगों को भुगतना पड़ सकता है। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि विवाद की स्थिति में हिंसा का सहारा न लें और कानून पर भरोसा रखें।


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