छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कोरकोमा गांव में मुर्गा-भात और शराब सेवन के बाद बीमारी से तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि अन्य लोग अभी भी अस्पताल में इलाजरत हैं। इस घटना ने गांव में भय और गुस्से का माहौल पैदा कर दिया है। पुलिस मामले को फूड प्वाइजनिंग मानकर जांच कर रही है, लेकिन मृतकों के परिजन इसे जहरीली शराब का मामला बता रहे हैं और निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।
घटना रजगामाल चौकी क्षेत्र के अंतर्गत कोरकोमा गांव की है। जानकारी के अनुसार, 31 जुलाई को गांव में पूजा-पाठ का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर ग्रामीणों को मुर्गा-भात परोसा गया। साथ ही कुछ लोगों ने महुआ शराब भी पी। कार्यक्रम के बाद रजमीन बाई (62), जेल सिंह (27), राजाराम (52), राजकुमार (58) और चमेली बाई (48) की तबीयत अचानक बिगड़ गई। सभी को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान पहले रजमीन बाई और जेल सिंह की मौत हो गई। मंगलवार को तीसरे मरीज राजाराम ने भी दम तोड़ दिया।
मृतक राजाराम की पत्नी शिवा बाई ने दावा किया कि उनके पति की मौत फूड प्वाइजनिंग से नहीं, बल्कि जहरीली महुआ शराब पीने से हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि जेल सिंह ने मुर्गा-भात खाया ही नहीं था, उसने सिर्फ महुआ शराब पी थी और फिर उसकी हालत बिगड़ी। परिजनों का कहना है कि पुलिस जानबूझकर जहरीली शराब के पहलू को नज़रअंदाज़ कर रही है, जिससे इस तरह के मामलों के पीछे चल रहे अवैध शराब कारोबार का खुलासा नहीं हो पा रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि अगर जहरीली शराब के रैकेट पर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो और लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है। वे चाहते हैं कि पुलिस सिर्फ फूड प्वाइजनिंग पर ध्यान न देकर शराब के सैंपल की भी जांच करवाए।
कोरबा के सीएसपी भूषण एक्का ने कहा कि फिलहाल जांच में फूड प्वाइजनिंग की आशंका सामने आई है। उन्होंने बताया कि घटनास्थल से मिले खाने के सैंपल को जांच के लिए भेजा गया है और रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। पुलिस का कहना है कि मामले के हर पहलू पर जांच की जा रही है और किसी भी संभावना को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाएगा।
वहीं, गांव में इस घटना के बाद माहौल गंभीर है। कई लोग इस मामले को लेकर नाराज़ हैं और पुलिस से त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का मानना है कि अवैध महुआ शराब बनाने और बेचने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।
यह घटना न केवल कोरबा बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए चेतावनी है कि खाद्य और पेय पदार्थों की गुणवत्ता पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। प्रशासन और पुलिस को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है, जिससे लोगों की जानें बचाई जा सकें।