धमतरी में चाकूबाजी से उजड़े तीन घर, रायपुर में मातम का माहौल


 

धमतरी में हुई चाकूबाजी की दर्दनाक घटना ने रायपुर के तीन घरों का सहारा छीन लिया। इस घटना में तीन युवकों की मौत हो गई, जो अपने-अपने परिवार के प्रमुख कमाने वाले थे। इनमें से एक मृतक आलोक ठाकुर घर का इकलौता बेटा था, जिसके बुजुर्ग माता-पिता और बहन की जिम्मेदारी उसके कंधों पर थी।

आलोक के पिता का साल 2015-16 में एक सड़क हादसे में पैर कट गया था, जिसके बाद वे बिस्तर पर ही रहने लगे और मानसिक आघात सहन न कर पाने के कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। तब से आलोक ने ही घर को संभालना शुरू किया था। वह ठेकेदारी करता था और पेटी कांट्रेक्ट लेकर काम करता था। घटना से एक दिन पहले ही आलोक का रिश्ता तय हुआ था और इसी साल उसकी शादी होनी थी। बहन ने रोते हुए कहा कि राखी बांधने के सिर्फ एक दिन बाद भाई को खोना किसी भी बहन के लिए असहनीय है।

मृतक नितीन रोज की तरह 11 अगस्त की सुबह टिफिन लेकर घर से निकला था, लेकिन वापस नहीं लौटा। वह धमतरी में महिला बाल विकास विभाग की एक महिला अधिकारी की गाड़ी चलाता था और रोजाना रायपुर से धमतरी आता-जाता था। नितीन की शादी को पांच साल हुए थे और उसके दो छोटे बच्चे हैं। मंगलवार को जब उसका शव घर पहुंचा, तो मां नीरी तांडी के आंसू थम नहीं रहे थे।

तीसरे मृतक सुरेश तांडी की उम्र 33 साल थी और वह संतोषी नगर का रहने वाला था। उसकी दो साल की बेटी डॉली अपने पिता को देखकर बार-बार उठने के लिए कह रही थी, "पापा उठो ना..." यह दृश्य देखकर मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं। सुरेश की बहन ने बताया कि एक दिन पहले ही राखी बांधी थी और भाई ने रक्षा का वादा किया था, लेकिन अगले ही दिन वह हमेशा के लिए चला गया।

तीनों दोस्तों — आलोक, नितीन और सुरेश — का शव धमतरी से रायपुर लाया गया और संतोषी नगर मुक्तिधाम में एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। रायपुर से उनके साथ गए दो अन्य दोस्त और धमतरी में मिले दो और साथी घटना के बाद भागकर जान बचाने में सफल हुए।

परिजनों ने आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की है। परिवारों का कहना है कि इस घटना ने न केवल तीन घरों के चिराग बुझा दिए, बल्कि उनके बच्चों, बहनों और माताओं के जीवन में ऐसा खालीपन छोड़ दिया है, जिसे भर पाना असंभव है। पूरे मोहल्ले में शोक और आक्रोश का माहौल है। लोग अब भी यह विश्वास नहीं कर पा रहे कि चंद घंटों पहले तक जिनके घरों में हंसी-खुशी का माहौल था, वहां अब सिर्फ मातम और सन्नाटा पसरा है।

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