**सूरजपुर में 10वीं की छात्रा की दर्दनाक मौत: पिता की डांट से आहत नेहा ने ब्लेड से रेता गला, खून से सना मिला कमरा**

**सूरजपुर में 10वीं की छात्रा की दर्दनाक मौत: पिता की डांट से आहत नेहा ने ब्लेड से रेता गला, खून से सना मिला कमरा**

सूरजपुर: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। भटगांव थाना क्षेत्र के बरपारा में 10वीं की छात्रा नेहा बरगाह (16) ने पिता की डांट से आहत होकर ब्लेड से अपना गला काट लिया। कमरे में खून से लथपथ तड़पती नेहा को देख परिजनों के होश उड़ गए। गंभीर हालत में उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अधिक खून बहने के कारण उसकी जान नहीं बच सकी।

**धूप में घूमने की डांट बनी मौत की वजह**  

जानकारी के अनुसार, रविवार दोपहर करीब 2:30 बजे नेहा बाहर से घूमकर घर लौटी। पिता राजेंद्र प्रसाद ने तेज धूप में घूमने को लेकर उसे टोका और कहा कि जब सब घर पर हैं, तो वह कहां घूम रही थी। इस बात से नाराज नेहा बिना कुछ बोले अपने कमरे में चली गई। कुछ देर बाद उसकी छोटी बहन कमरे में पहुंची तो दृश्य देखकर सन्न रह गई। नेहा का गला कटा था, खून तेजी से बह रहा था और वह तड़प रही थी। 


**परिजनों ने मचाया शोर, अस्पताल में तोड़ा दम**  

छोटी बहन ने शोर मचाया तो पिता और परिजन दौड़कर पहुंचे। आनन-फानन में नेहा को निजी वाहन से अंबिकापुर के मिशन हॉस्पिटल ले जाया गया। डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया, लेकिन गला गहराई तक कटने और अत्यधिक रक्तस्राव के कारण रात 1:30 बजे नेहा ने दम तोड़ दिया। डॉक्टरों के मुताबिक, ब्लेड से गला इतनी गहराई से कटा था कि वह बोल भी नहीं पा रही थी।


**पिता का दर्द: छोटी बात पर गुस्सा हो जाती थी नेहा**  

नेहा के पिता राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि नेहा पढ़ाई में अच्छी थी और उसने हाल ही में 10वीं की परीक्षा दी थी। हालांकि, वह छोटी-छोटी बातों पर जल्दी गुस्सा हो जाती थी। उन्होंने बताया कि सिर्फ धूप में घूमने की डांट ने उसे इतना आहत कर दिया कि उसने यह खौफनाक कदम उठा लिया। 


**पुलिस ने की कार्रवाई, अंतिम संस्कार संपन्न**  

भटगांव थाना पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। नेहा के शव का पोस्टमॉर्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया गया। परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया है। पुलिस का कहना है कि प्रारंभिक जांच में यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है। 

**मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल**  

यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि किशोरों में बढ़ते मानसिक तनाव और छोटी बातों पर अतिसंवेदनशीलता को भी उजागर करती है। क्या समय रहते नेहा की मनोदशा को समझकर उसे बचाया जा सकता था? यह सवाल हर किसी के मन में कौंध रहा है।

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