दुर्ग का 'बड़ा तालाब': 150 साल से कभी नहीं सूखा, 6 गांवों की जीवनरेखा!**

**दुर्ग का 'बड़ा तालाब': 150 साल से कभी नहीं सूखा, 6 गांवों की जीवनरेखा!**

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक ऐसा तालाब है, जो **150 साल से कभी सूखा नहीं** और आज भी **6 गांवों के लिए जल का सबसे बड़ा स्रोत** बना हुआ है। **कंडरका गांव** में स्थित यह **'बड़ा तालाब'** न केवल पानी की जरूरतें पूरी करता है, बल्कि एक ऐतिहासिक और भावनात्मक कहानी को भी अपने में समेटे हुए है। आइए, जानते हैं इस अनोखे तालाब की कहानी और इसके महत्व को!

### **एक तालाब, जो बना जल देवता**

दुर्ग जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर कंडरका गांव में स्थित 'बड़ा तालाब' की कहानी 150 साल पुरानी है। उस समय इलाके में पानी की भारी कमी थी। स्थानीय लोग पानी के लिए दूर-दूर तक भटकते थे। **जमींदार गुरमिन गौटिया** की पत्नी को भी नहाने के लिए 2 किलोमीटर दूर चेटुवा गांव के तालाब तक जाना पड़ता था। एक दिन गांव की कुछ महिलाओं ने उनका मजाक उड़ाया कि "जमींदार की पत्नी होकर भी तुम्हें अपना तालाब नहीं!" इस बात से आहत होकर वह अधूरे स्नान के साथ घर लौटीं। 


जमींदार ने अपनी पत्नी की व्यथा सुनी और तुरंत एक तालाब बनवाने का संकल्प लिया। उन्होंने न केवल तालाब खोदने की योजना बनाई, बल्कि एक जल स्रोत की खोज भी की। कहते हैं, कुछ मवेशियों पर कीचड़ और घास देखकर गौटिया को संदेह हुआ। उन्होंने मवेशियों का पीछा किया और एक प्राकृतिक जल स्रोत खोज निकाला। इसके बाद शुरू हुई **49 एकड़ में फैले इस विशाल तालाब** की खुदाई।


### **दो महीने, सैकड़ों मजदूर, एक ऐतिहासिक उपलब्धि**

तालाब की खुदाई में **राजस्थान से आए गड़रिया समुदाय** और स्थानीय ग्रामीणों ने दिन-रात मेहनत की। करीब **दो महीने** में यह तालाब तैयार हुआ। जब तालाब बनकर तैयार हुआ, तो गुरमिन गौटिया की पत्नी ने पहली बार इसमें अपने बाल धोए। तालाब के चारों ओर **आम के पेड़** लगाए गए, जो आज भी इसकी सुंदरता और महत्व को बढ़ाते हैं। गौटिया ने सभी मजदूरों को भरपूर इनाम दिया, और तब से यह तालाब **जल देवता** के रूप में पूजा जाता है।

### **6 गांवों की प्यास बुझाता तालाब**

- **कभी नहीं सूखता**: स्थानीय लोगों का दावा है कि 150 साल में यह तालाब कभी सूखा नहीं। जब गर्मी के मौसम में अन्य जल स्रोत सूख जाते हैं, तब भी यह तालाब पानी 

- **सिंचाई और दैनिक जरूरतें**: यह तालाब कंडरका और आसपास के 6 गांवों में **पेयजल** और **खेतों की सिंचाई** के लिए जीवनरेखा है।

- **भूजल स्तर में योगदान**: तालाब के कारण आसपास के क्षेत्र में **भूजल स्तर** भी ऊंचा रहता है, जिससे इलाके में पानी की उपलब्धता बनी रहती है।

### **संरक्षण की पहल**

दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के सांसद **विजय बघेल** ने इस तालाब को एक सदी से भी पुराना बताते हुए इसके **संरक्षण और पुनरुद्धार** की योजना की घोषणा की है। स्थानीय निवासी **नरोत्तम पाल** का कहना है कि ग्रामीणों ने तालाब के आसपास **अतिक्रमण** नहीं होने दिया

### **क्यों है यह तालाब खास?**

- **ऐतिहासिक महत्व**: एक जमींदार की पत्नी के सम्मान और गांव की जरूरतों के लिए बनाया गया यह तालाब आज भी प्रासंगिक है।

- **प्राकृतिक संपदा**: तालाब की प्राकृतिक बनावट और जल स्रोत इसे कभी न सूखने वाला बनाते हैं।

- **सामुदायिक एकता**: ग्रामीणों की मेहनत और संरक्षण की भावना ने इसे जीवित रखा 

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