छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में तेंदूपत्ता संग्राहकों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि में करोड़ों रुपये की गड़बड़ी का मामला सामने आया है। इस घोटाले में जिला वन अधिकारी (DFO) सहित कई अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। प्रारंभिक जांच में लगभग 5.73 करोड़ रुपये की अनियमितता उजागर हुई है, जिसके चलते प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई करते हुए 11 वन समितियों के खिलाफ जांच के आदेश जारी किए हैं और जिला वन अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
प्रोत्साहन राशि में भारी हेराफेरी
तेंदूपत्ता छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल इलाकों में हजारों ग्रामीणों की आजीविका का मुख्य स्रोत है। राज्य सरकार हर वर्ष तेंदूपत्ता संग्राहकों को संग्रहित पत्तों की कीमत के अलावा प्रोत्साहन राशि भी प्रदान करती है। इस योजना का उद्देश्य आदिवासी समुदाय की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाना है। मगर हाल ही में सामने आए इस घोटाले ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सूत्रों के अनुसार, सुकमा जिले की 11 प्राथमिक वन समितियों के माध्यम से वितरित की जाने वाली प्रोत्साहन राशि में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। कई संग्राहकों को राशि मिली ही नहीं, जबकि रिकॉर्ड में उनके नाम पर भुगतान दिखाया गया है। कुछ मामलों में मृत लोगों के नाम पर भुगतान दर्शाया गया है।
कैसे हुआ खुलासा?
राज्य शासन को इस पूरे मामले की सूचना कुछ संग्राहकों की शिकायत के बाद मिली थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें वर्ष 2023 में तेंदूपत्ता संग्रहण के बदले प्रोत्साहन राशि नहीं दी गई। जब स्थानीय प्रशासन ने जांच शुरू की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। इसके बाद एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया, जिसमें वित्त, वन और प्रशासनिक अधिकारियों को शामिल किया गया।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, 5.73 करोड़ रुपये की राशि फर्जी नामों, बोगस खाता नंबरों और गलत दस्तावेजों के आधार पर निकाल ली गई। इसमें बड़ी भूमिका जिले के तत्कालीन डीएफओ की मानी जा रही है, जिन्होंने भुगतान प्रक्रिया को मंजूरी दी थी।
डीएफओ की गिरफ्तारी और आगे की कार्रवाई
जांच के दौरान पर्याप्त साक्ष्य मिलने पर सुकमा के तत्कालीन जिला वन अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया गया है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आपराधिक साजिश की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा संयुक्त रूप से पूछताछ की जा रही है।
प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 11 समितियों के सचिवों और अन्य संबंधित कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। साथ ही, उन सभी खातों की जांच शुरू कर दी गई है, जिनमें संदेहास्पद लेन-देन हुए हैं।
आदिवासी समुदाय में रोष
इस खुलासे के बाद आदिवासी समुदाय में आक्रोश फैल गया है। संग्राहकों ने शासन से मांग की है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए और उन्हें उनकी पूरी प्रोत्साहन राशि दी जाए। सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने भी इस घोटाले की निंदा की है और पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की मांग की है।
सरकार की प्रतिक्रिया
राज्य सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पूरे प्रदेश में तेंदूपत्ता वितरण प्रक्रिया की समीक्षा के आदेश दिए हैं। वन मंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए तकनीकी निगरानी व्यवस्था लागू की जाएगी।