रायपुर। राजधानी रायपुर में पिछले 8 वर्षों से अधर में लटका स्काईवॉक प्रोजेक्ट एक बार फिर रफ्तार पकड़ने जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने इस अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 37 करोड़ रुपए की नई मंजूरी दे दी है। इस बार निर्माण में आधुनिक सुविधाओं को भी जोड़ा जा रहा है, जिनमें 12 स्थानों पर एस्केलेटर (स्वचालित सीढ़ियां) लगाए जाएंगे, ताकि लोगों को चढ़ने-उतरने में आसानी हो।
प्रोजेक्ट की पृष्ठभूमि: 2016 में हुई थी शुरुआत
रायपुर के जयस्तंभ चौक से शारदा चौक तक स्काईवॉक बनाने की योजना 2016 में शुरू हुई थी। उस समय इसका उद्देश्य था शहर की व्यस्त सड़कों पर पैदल यात्रियों को सुरक्षित और सुविधाजनक रास्ता उपलब्ध कराना। शुरुआती चरण में लगभग 66 करोड़ रुपए की लागत से इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास हुआ। लेकिन काम की धीमी रफ्तार, तकनीकी समस्याएं, और ठेकेदारों के बीच विवाद के कारण यह योजना बीच में ही अधूरी रह गई।
अब तक लगभग 350 मीटर स्ट्रक्चर खड़ा किया जा चुका है, लेकिन इसे उपयोग लायक बनाने के लिए जरूरी संरचनात्मक और सुविधाजनक कार्य नहीं हो पाए थे। नतीजतन, यह स्काईवॉक शहर के बीचों-बीच एक अधूरा ढांचा बनकर रह गया, जो न तो उपयोग में आ पाया और न ही सौंदर्य की दृष्टि से आकर्षक लग पाया।
अब मिलेगा नया रूप और नई तकनीक
सरकार की हालिया घोषणा के अनुसार, इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह से पुनः प्रारंभ किया जा रहा है और इसके लिए एक नया टेंडर जारी किया गया है। परियोजना में अब केवल अधूरी संरचना को पूरा करना ही नहीं, बल्कि इसे आधुनिक तकनीक और सुविधाओं से सुसज्जित करना भी शामिल है।
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स्काईवॉक की कुल लंबाई लगभग 1.3 किलोमीटर होगी।
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इसमें 12 स्थानों पर एस्केलेटर लगाए जाएंगे, जिससे बुजुर्ग, महिलाएं और दिव्यांगजन आसानी से ऊपर-नीचे आ-जा सकेंगे।
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पूरी संरचना को एलईडी लाइटिंग, सीसीटीवी कैमरे और सोलर पैनल्स से भी लैस किया जाएगा।
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विशेष सुरक्षा के इंतज़ाम भी किए जाएंगे, ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।
विकास की रफ्तार बढ़ाने की कोशिश
नगरीय प्रशासन विभाग ने कहा है कि इस बार स्काईवॉक निर्माण में देरी नहीं होगी। संबंधित विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि निर्माण कार्य चरणबद्ध रूप से तय समय में पूर्ण किया जाए।
अधिकारियों के मुताबिक, पहले की गलतियों से सबक लिया गया है। अब सख्त अनुबंध शर्तें लागू की गई हैं और निर्माण की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा। इसके साथ ही एक निगरानी समिति बनाई गई है जो समय-समय पर कार्य की समीक्षा करेगी।
जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया
इस खबर के सामने आते ही रायपुर की जनता में एक बार फिर उम्मीद जगी है। स्काईवॉक का उद्देश्य शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाना और पैदल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, लेकिन इतने वर्षों तक इसका अधूरा रहना प्रशासन की नाकामी का प्रतीक माना जाता रहा है।
स्थानीय निवासी रजनीश साहू ने कहा, "अगर यह स्काईवॉक समय पर बन जाता, तो आज सड़कों पर जाम की समस्या काफी हद तक कम हो जाती। उम्मीद है कि इस बार सरकार इसे समय पर पूरा करेगी।"
वहीं कुछ लोगों को डर है कि यह बार-बार शुरू और अधूरा रह जाने वाला प्रोजेक्ट फिर किसी राजनीतिक घोषणा तक ही सीमित न रह जाए।
शहर को मिलेगा नया आइकॉनिक लुक
यदि स्काईवॉक योजना इस बार सफलतापूर्वक पूरी हो जाती है, तो रायपुर को एक नया आइकॉनिक लुक मिलेगा। यह शहर के लिए एक आधुनिक प्रतीक बनेगा, जो स्मार्ट सिटी के सपनों को आगे बढ़ाने में सहायक होगा।
राज्य सरकार की ओर से साफ संदेश है कि अब अधूरे प्रोजेक्ट को पूर्ण करना प्राथमिकता है। यदि योजना तय समय में पूरी होती है, तो यह रायपुरवासियों के लिए न सिर्फ सुविधा का विषय होगा, बल्कि यह राजधानी के सौंदर्य और आधुनिकता में भी बड़ा योगदान देगा।