"आत्मानंद स्कूलों की मेरिट लिस्ट बनी सियासी बहस का मुद्दा: भूपेश बोले सरकार छुपा रही आंकड़े, BJP ने साय सरकार की मेहनत बताया"


 

रायपुर। छत्तीसगढ़ के आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के छात्रों की बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन को लेकर राज्य में सियासी घमासान तेज हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह आत्मानंद स्कूलों के वास्तविक आंकड़े छुपा रही है और शिक्षकों को बीते 10 महीनों से वेतन तक नहीं दिया गया है। वहीं, भाजपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे साय सरकार की मेहनत और दूरदर्शिता का परिणाम बताया है।

भूपेश बघेल का सरकार पर हमला

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा, "आत्मानंद स्कूलों के बच्चे आज मेरिट में रहे हैं, यह बात गर्व की है। लेकिन इस सफलता के पीछे की असल मेहनत किसकी है, इसे सरकार छुपाने की कोशिश कर रही है। यह योजना हमारी सरकार की थी और इसे हमने शुरू किया था। आज जब इसके नतीजे सामने रहे हैं, तो भाजपा इसे अपनी उपलब्धि बताकर जनता को गुमराह कर रही है।"

भूपेश ने यह भी कहा कि आत्मानंद स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को बीते 10 महीनों से वेतन नहीं मिला है। "सरकार छात्रों की सफलता का श्रेय तो ले रही है, लेकिन जिन्होंने यह सफलता संभव बनाई, उन शिक्षकों को ही भूल गई है। अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में इन स्कूलों की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा," उन्होंने जोड़ा।

भाजपा का पलटवार

कांग्रेस के आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि आत्मानंद स्कूलों की सफलता साय सरकार की नीति और शिक्षा व्यवस्था की मजबूत नींव का परिणाम है। "हमने इन स्कूलों में केवल आधारभूत सुविधाएं बढ़ाई हैं, बल्कि शिक्षकों की नियुक्ति, प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम सुधार जैसे महत्वपूर्ण कदम भी उठाए हैं। छात्रों की उपलब्धियों का श्रेय किसी एक पार्टी को नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था को मिलना चाहिए," उन्होंने कहा।

वहीं, शिक्षा मंत्री ब्रिजमोहन अग्रवाल ने भी कहा कि सरकार शिक्षकों के वेतन को लेकर गंभीर है और जल्द ही समाधान निकाला जाएगा। "कुछ प्रशासनिक प्रक्रियाओं के कारण भुगतान में देरी हुई है, लेकिन हम इसे प्राथमिकता पर ले रहे हैं," उन्होंने आश्वस्त किया।

आत्मानंद स्कूलों की सफलता का सच

आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की शुरुआत कांग्रेस सरकार ने 2020 में की थी। इसका उद्देश्य था कि सामान्य और ग्रामीण परिवारों के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा मिल सके। शुरुआत में राज्य के विभिन्न जिलों में चुनिंदा सरकारी स्कूलों को अपग्रेड कर आत्मानंद स्कूलों में बदला गया। इनमें स्मार्ट क्लास, डिजिटल लाइब्रेरी, प्रशिक्षित शिक्षक और आधुनिक पाठ्यक्रम की व्यवस्था की गई।

2024 की बोर्ड परीक्षाओं में आत्मानंद स्कूलों के छात्रों ने राज्य स्तर पर कई टॉप रैंक हासिल किए, जिससे यह स्कूल मॉडल फिर से चर्चा में गया। हालांकि इसके साथ ही इसके संचालन से जुड़ी समस्याएं भी सामने आने लगीं।

शिक्षकों की परेशानी बनी बड़ी चिंता

आत्मानंद स्कूलों में कार्यरत कई शिक्षकों ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्हें बीते कई महीनों से वेतन नहीं मिला है। कई शिक्षकों का कहना है कि नियमित वेतन मिलने से उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है और उनका मनोबल गिर रहा है। "हम पूरे मन से बच्चों को पढ़ा रहे हैं, लेकिन सरकार की बेरुखी हमें निराश कर रही है," एक शिक्षक ने नाम छापने की शर्त पर कहा।

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