"कपड़ों को लेकर कलह, मासूम ने तोड़ा दम: बहन से तकरार के बाद उठाया खौफनाक कदम, अस्पताल की लापरवाही भी उजागर"


 


शहर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ कपड़े पहनने को लेकर बड़ी बहन से हुए मामूली विवाद के बाद एक 16 वर्षीय नाबालिग लड़की ने आत्महत्या कर ली। गुस्से में आकर फांसी लगाने वाली इस किशोरी को परिजन गंभीर हालत में अस्पताल लेकर पहुँचे, लेकिन वहाँ 17 घंटे तक चली लापरवाही ने उसकी जान ले ली।

पारिवारिक विवाद से उपजा कदम

परिजनों के अनुसार, घटना उस समय घटी जब नाबालिग लड़की घर में आधुनिक कपड़े पहनना चाहती थी, लेकिन उसकी बड़ी बहन ने उसे टोका और पारंपरिक पहनावे पर जोर दिया। दोनों के बीच बहस बढ़ गई और बात झगड़े तक पहुँच गई। बहन के डांटने से आहत किशोरी ने अपने कमरे में जाकर खुद को बंद कर लिया।

कुछ समय बाद जब दरवाजा नहीं खुला, तो परिवार ने उसे तोड़ा और अंदर का नजारा देखकर सन्न रह गए। किशोरी ने दुपट्टे से पंखे के सहारे फांसी लगा ली थी। वह बेहोश अवस्था में थी, लेकिन सांसें चल रही थीं। उसे तुरंत पास के अस्पताल ले जाया गया।

अस्पताल में 17 घंटे की ‘प्रक्रिया’, नतीजा शून्य

घटना के बाद अस्पताल पहुँचे परिजनों को उम्मीद थी कि समय पर इलाज से उनकी बेटी बच जाएगी। लेकिन अस्पताल प्रबंधन की कथित लापरवाही ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। लड़की को एक वार्ड से दूसरे वार्ड में रेफर किया जाता रहा। परिजनों का आरोप है कि किसी भी डॉक्टर ने गंभीरता से मामला नहीं लिया।

"हमें कहा गया कि लड़की की हालत नाजुक है, लेकिन कोई भी वरिष्ठ डॉक्टर उसे देखने नहीं आया। बार-बार पूछने पर भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया," मृतका की माँ ने रोते हुए कहा।

करीब 17 घंटे तक चलती रही इस उथल-पुथल के बाद डॉक्टरों ने लड़की को मृत घोषित कर दिया।

परिजनों का फूटा गुस्सा

जब अस्पताल से मौत की सूचना मिली, तो गुस्साए परिजनों और स्थानीय लोगों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया। उनका कहना है कि यदि समय पर उचित चिकित्सा मिलती, तो लड़की की जान बच सकती थी।

परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए और उच्चस्तरीय जांच की माँग की है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी लापरवाही अगर किसी वीआईपी के साथ होती, तो क्या अस्पताल का रवैया ऐसा ही रहता?

पुलिस जांच में जुटी, अस्पताल प्रबंधन चुप

सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुँची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। पुलिस ने कहा है कि प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला है, लेकिन अस्पताल की भूमिका की भी जाँच की जाएगी।

अस्पताल प्रबंधन ने अब तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। मीडिया द्वारा पूछे गए सवालों पर वे टालमटोल करते रहे।

मानसिक स्वास्थ्य और संवाद की जरूरत

यह घटना सिर्फ पारिवारिक संवाद की कमी को उजागर करती है, बल्कि किशोरों में बढ़ते गुस्से और मानसिक असंतुलन की भी एक बानगी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस उम्र में बच्चों को समझाने के लिए संवाद और परामर्श की ज़रूरत होती है, कि टोकने या दबाव डालने की।

समाजशास्त्रियों और मनोचिकित्सकों ने इस मामले को बेहद संवेदनशील बताते हुए कहा है कि परिवारों को बच्चों के साथ खुला संवाद बनाए रखना चाहिए और मनोवैज्ञानिक सहायता को सामान्य बनाना चाहिए।


Post a Comment

Previous Post Next Post