नवा रायपुर, छत्तीसगढ़ — श्री रावतपुरा मेडिकल कॉलेज समेत देश के छह निजी मेडिकल कॉलेजों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए इन संस्थानों की सत्र 2025-26 के लिए यूजी और पीजी कोर्सों की मान्यता नवीनीकरण से इंकार कर दिया है। साथ ही कॉलेजों में सीट वृद्धि और नए कोर्स की मंजूरी के सभी आवेदन रद्द कर दिए गए हैं।
एनएमसी का यह फैसला सीबीआई की चल रही जांच के बाद सामने आया है, जिसमें रिश्वत लेकर कॉलेजों को मान्यता देने का आरोप है। इसी मामले में नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा मेडिकल कॉलेज का भी नाम सामने आया है। जांच में यह खुलासा हुआ कि कॉलेज को 250 सीटों की मान्यता दिलाने के एवज में 55 लाख रुपये की रिश्वत दी गई थी।
CBI का शिकंजा और छापेमारी
सीबीआई ने एक पूर्व नियोजित ऑपरेशन के तहत कार्रवाई करते हुए इस मामले में 6 लोगों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान सीबीआई ने कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश में कुल 40 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की।
एनएमसी के 4 डॉक्टर ब्लैकलिस्ट
एनएमसी ने इस कार्रवाई के बाद अपने चार वरिष्ठ निरीक्षण डॉक्टरों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। ये डॉक्टर मूल्यांकन दल में शामिल थे और इनके खिलाफ सीबीआई की एफआईआर में नाम दर्ज है।
बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की जांच
इस पूरे मामले में 35 से ज्यादा लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है, जिनमें कुछ शिक्षाविद, स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के अधिकारी, एनएमसी के प्रतिनिधि और विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के पदाधिकारी शामिल हैं।
आगे क्या?
एनएमसी का साफ निर्देश है कि जिन कॉलेजों पर संदेह या आरोप हैं, उन्हें किसी भी प्रकार की नई मान्यता या कोर्स एक्सपेंशन की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसका सीधा असर उन छात्रों पर पड़ेगा, जो इन संस्थानों में एडमिशन की तैयारी कर रहे थे।
छात्र हितों को देखते हुए सरकार और मेडिकल काउंसिल से अब यह मांग उठ रही है कि वे पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित करें ताकि मेडिकल शिक्षा में गुणवत्ता बनी रहे और भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सके।