"PSC से चयनित 91 युवा बने मंत्रालय में प्यून: आधों ने छोड़ी नौकरी, अब आउटसोर्सिंग का सहारा"


 

सरकारी सिस्टम में पढ़े-लिखे बेरोज़गारों की हिचकिचाहट बनी बाधा, आउटसोर्सिंग बना विकल्प

नवा रायपुर (विशेष संवाददाता):
छत्तीसगढ़ में सरकारी विभागों को सहायक स्टाफ की कमी से जूझना पड़ रहा है। हाल ही में नवा रायपुर स्थित महानदी मंत्रालय में फिर से 70 प्यून (चपरासी) आउटसोर्सिंग के माध्यम से रखे गए हैं। ये स्थिति तब बनी जब छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) से भर्ती किए गए 91 प्यून में से आधे से अधिक ने कुछ ही महीनों में नौकरी छोड़ दी।

अधिक पढ़े-लिखे उम्मीदवारों ने छोड़ी नौकरी
सरकार ने पहली बार CGPSC के माध्यम से 91 प्यून की सीधी भर्ती की थी, लेकिन इनमें से कई उम्मीदवार ग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट थे। जब उन्हें पानी पिलाने, फाइलें इधर-उधर पहुंचाने जैसे पारंपरिक चपरासी कार्य दिए गए, तो उन्हें यह कार्य उनकी योग्यता से नीचे लगा। आत्मग्लानि और मानसिक द्वंद्व के कारण बड़ी संख्या में नियुक्त कर्मियों ने नौकरी छोड़ दी।

बिना सूचना के भी छोड़ दी नौकरी
कुछ ने विभाग को सूचना देकर इस्तीफा दिया, जबकि कुछ कर्मचारी बिना कोई जानकारी दिए अनुपस्थित हो गए। परिणामस्वरूप मंत्रालय में स्टाफ की कमी हो गई और मंत्रालय संचालन प्रभावित होने लगा।

फिर उठाना पड़ा आउटसोर्सिंग का सहारा
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने नवा रायपुर विकास प्राधिकरण (NRDA) को स्टाफ उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। एनआरडीए की इंजीनियरिंग शाखा ने एक निजी एजेंसी से समझौता कर 70 लोगों को प्यून के तौर पर तैनात किया।

वेतन में बड़ा अंतर, सरकार पर वित्तीय दबाव
सूत्रों के अनुसार PSC से नियुक्त प्यून को 22,000 से 24,000 रुपये मासिक वेतन देना पड़ता है, जबकि आउटसोर्सिंग से यही सेवा मात्र 8500 रुपये में ली जा रही है। यही वजह है कि अन्य विभागों की तरह मंत्रालय में भी आउटसोर्सिंग को प्राथमिकता दी जा रही है। कंप्यूटर ऑपरेटर, प्रोग्रामर, सहायक प्रोग्रामर जैसे तकनीकी पदों पर भी यही प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

प्रशासनिक चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा
इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि उच्च शिक्षित बेरोज़गार युवाओं को चपरासी जैसी पारंपरिक भूमिकाओं में समायोजित करना आसान नहीं है। उनकी शैक्षणिक योग्यता और कार्य प्रकृति के बीच असंतुलन आत्म-सम्मान पर असर डाल रहा है।

प्रशासनिक विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को ऐसे युवाओं के लिए उपयुक्त पद सृजित करने की आवश्यकता है ताकि उनकी क्षमता का समुचित उपयोग हो सके। वहीं, आउटसोर्सिंग से जुड़ी अस्थायित्व की चिंता भी सामने आ रही है, जिससे कर्मचारियों में दीर्घकालिक सुरक्षा का अभाव बना रहता है।

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