रायपुर: डिलीवरी के 12 घंटे बाद महिला की मौत, परिवार का आरोप – डॉक्टर सो रहे थे, इलाज वॉर्ड बॉय ने किया


 

रायपुर (छत्तीसगढ़), 11 जून – बिरगांव नगर निगम क्षेत्र के रावणभाठा स्थित स्वास्थ्य केंद्र में एक दर्दनाक लापरवाही का मामला सामने आया है। सोमवार को डिलीवरी के कुछ घंटे बाद ही 24 वर्षीय साक्षी निषाद की मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़ित परिवार का कहना है कि वक्त पर डॉक्टर की मौजूदगी होती तो साक्षी की जान बचाई जा सकती थी।

परिवार के अनुसार, सोमवार दोपहर साक्षी को पेट में तेज दर्द होने पर उसे रावणभाठा स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां डॉ. अंजू लाल ने सर्जरी कर सफलतापूर्वक बेटी को जन्म दिलाया। डिलीवरी के बाद परिवार ने राहत की सांस ली। पति दीपक ने बताया कि वे भविष्य की योजनाओं पर बात कर रहे थे, तभी रात करीब 11 बजे साक्षी को अचानक तेज कमर दर्द हुआ और उसने डॉक्टर को बुलाने के लिए कहा।

जब दीपक अस्पताल में डॉक्टर को ढूंढने गया, तो डॉक्टर नदारद थे और वार्ड बॉय आराम कर रहा था। काफी कहासुनी के बाद वह साक्षी को देखने आया और शुरुआत में लापरवाही से जवाब दिया कि वह 'नौटंकी कर रही है'। हालत बिगड़ती देख साक्षी को मेकाहारा अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

परिवार और मोहल्ले में मातम

साक्षी की मौत से निषाद परिवार गहरे सदमे में है। घर में नवजात बच्ची की वेलकम पार्टी की तैयारी चल रही थी, लेकिन वह खुशी मातम में बदल गई। मोहल्ले के लोग भी गमगीन हैं। हर आंख नम है और हर जुबां पर व्यवस्था के खिलाफ गुस्सा है। साक्षी की सास ने बच्ची को गोद में लिया और कहा – "खुशियां दरवाजे से लौट गईं।"

साक्षी के ससुर ने कहा – "मैं बार-बार कहता रहा कि प्राइवेट हॉस्पिटल में ले चलो, लेकिन भरोसा दिलाया गया कि सब ठीक है। अब मेरी बहू नहीं रही।"

प्रशासन ने माना – हुई लापरवाही

रायपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. मिथिलेश चौधरी ने लापरवाही की बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा कि जांच कमेटी गठित कर दी गई है, दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं अस्पताल प्रभारी डॉ. अंजू लाल का फोन बंद है और उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

गुस्साए लोगों ने किया थाना घेराव

साक्षी की मौत के बाद मोहल्ले के लोग आक्रोशित हो उठे। बड़ी संख्या में लोग खमतरई थाना पहुंचे और जमकर प्रदर्शन किया। लोगों ने मांग की कि जिम्मेदार स्टाफ पर सख्त कार्रवाई की जाए और लापरवाही को नजरअंदाज न किया जाए। प्रशासन की ओर से जांच और कार्रवाई के आश्वासन के बाद ही लोग शांत हुए।

सवालों के घेरे में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था

यह घटना फिर एक बार सरकारी अस्पतालों की स्थिति पर सवाल खड़ा करती है। जब डिलीवरी के बाद महिला की हालत बिगड़ती है और मौके पर डॉक्टर ही मौजूद नहीं होता, तो यह गंभीर चिंता का विषय है। पीड़ित परिवार के अनुसार, अगर समय पर इलाज मिलता, तो साक्षी की जान बचाई जा सकती थी।

अब जांच रिपोर्ट और प्रशासन की कार्रवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं। लेकिन एक सवाल हर किसी के मन में है – क्या एक नवजात बच्ची को उसकी मां का प्यार वापस मिल सकेगा?

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