बिलासपुर, 9 जून 2025:
बिलासपुर की सेंट्रल जेल में सुरक्षा को चकमा देते हुए एक विचाराधीन बंदी रविवार को फरार हो गया। चोरी के मामले में एक माह पहले गिरफ्तार हुआ युवक, राजा गोंड (22), 22 फीट ऊंची दीवार फांदकर जेल से भाग निकला। इस घटना ने जेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राजा गोंड को 3 मई को मस्तूरी थाना क्षेत्र में हुई चोरी के मामले में पकड़ा गया था। गिरफ्तारी के बाद से वह विचाराधीन बंदी के तौर पर सेंट्रल जेल में बंद था। रविवार को जेल अस्पताल वार्ड की छोटी दीवार पार करने के बाद वह 22 फीट ऊंची मुख्य दीवार पर चढ़ा और बाहर छलांग लगा दी। वॉलगार्ड रोशन साहू ने उसे भागते देखा और तुरंत सीटी बजाकर अलर्ट किया, मगर तब तक वह बाहर निकल चुका था।
जेल प्रबंधन का दावा है कि जेल की दीवारों पर 11KV हाई वोल्टेज करंट युक्त तारें बिछी हैं, जिससे किसी का बाहर निकल पाना असंभव माना जाता था। बावजूद इसके युवक सभी सुरक्षा उपायों को पार कर भागने में सफल रहा। यह घटना जेल की सुरक्षा प्रणाली और निगरानी व्यवस्था पर गहरा संदेह उत्पन्न करती है।
जेल से फरार होने के बाद आरोपी सीधे अपने गांव बैमा पहुंचा। वहां उसकी मौजूदगी से घबराए एक परिचित ने गुपचुप तरीके से गांववालों को जानकारी दी और 112 डायल कर पुलिस को सूचना दी। कुछ ही देर में 112 की टीम गांव पहुंची और रात में उसे सरकंडा क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद आरोपी को फिर से सेंट्रल जेल में दाखिल कराया गया।
जेल अधीक्षक खोमेश मंडावी ने बताया कि पहले जेल प्रबंधन ने अपने स्तर पर उसकी खोजबीन की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद पुलिस कंट्रोल रूम को जानकारी दी गई। रात में आरोपी की तस्वीर और जानकारी साझा किए जाने के बाद पुलिस ने तेजी से खोज अभियान चलाया।
इस घटना के बाद जेल प्रबंधन की कार्यप्रणाली और सुरक्षा उपायों की गहन जांच की आवश्यकता महसूस की जा रही है। यह सवाल अब और अधिक मुखर हो रहा है कि हाई सिक्योरिटी जेल में, जहां हाई वोल्टेज करंट और पहरेदारी का दावा किया जाता है, वहां एक विचाराधीन बंदी का इस तरह भाग जाना आखिर कैसे संभव हो गया?
संपर्क सूत्रों के अनुसार, इस घटना को लेकर उच्चाधिकारियों की एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जो जल्द ही शासन को भेजी जाएगी। साथ ही, संबंधित सुरक्षा कर्मियों से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।
इस पूरी घटना ने यह साफ कर दिया है कि सख्त सुरक्षा व्यवस्था का दावा करने वाली जेलें भी लापरवाही और ढीली निगरानी के कारण जोखिम में हैं।