कोतवाली पुलिस की त्वरित कार्रवाई, फर्जी आईडी कार्ड बरामद, गिरोह के सक्रिय होने की आशंका
कबीरधाम, 9 जून | कबीरधाम जिले में प्रशासनिक व्यवस्था को चकमा देने की कोशिश कर रहे एक युवक को कोतवाली पुलिस ने धर दबोचा है। आरोपी शम्मी सिंह ठाकुर खुद को डिप्टी कलेक्टर बताकर कलेक्ट्रेट कार्यालय में निरीक्षण करने पहुंचा था। उसके साथ तीन अन्य लोग भी मौजूद थे, जिनमें एक ड्राइवर और एक स्टेनो शामिल हैं।
जानकारी के अनुसार, शम्मी सिंह ठाकुर दुर्ग जिले का निवासी है। सोमवार को वह सरकारी अंदाज़ में कलेक्ट्रेट पहुंचा और अधिकारियों की तरह निरीक्षण करने लगा। उसकी गतिविधियों और व्यवहार पर संदेह होने पर वहां मौजूद कर्मचारियों ने तत्काल इसकी सूचना कोतवाली थाना पुलिस को दी।
सूचना मिलते ही पुलिस की पेट्रोलिंग टीम मौके पर पहुंची और आरोपी समेत उसके साथियों को हिरासत में ले लिया। पूछताछ के दौरान पुलिस को आरोपी के पास से एक फर्जी डिप्टी कलेक्टर का पहचान पत्र भी मिला, जिसे जब्त कर लिया गया है। फिलहाल आरोपी और उसके सहयोगियों से गहन पूछताछ की जा रही है।
पुलिस जांच में यह जानने की कोशिश कर रही है कि इस फर्जीवाड़े का उद्देश्य क्या था और क्या इसके पीछे कोई संगठित गिरोह काम कर रहा है। प्रारंभिक जानकारी में यह भी सामने आया है कि आरोपी पहले भी इसी तरह की गतिविधियों में संलिप्त रहा है, हालांकि इसकी पुष्टि पुलिस जांच के बाद ही हो सकेगी।
इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासनिक महकमे में हलचल मचा दी है। सवाल उठने लगे हैं कि बिना किसी ठोस पहचान जांच के कलेक्ट्रेट जैसी संवेदनशील जगहों में आमद कैसे संभव हुई। अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा और पहचान सत्यापन की प्रक्रिया को अब और अधिक मजबूत किया जाएगा।
कोतवाली थाना प्रभारी ने बताया कि जल्द ही पूरे मामले का खुलासा किया जाएगा। प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी की मानसिकता और मंशा को लेकर कई अहम सुराग मिले हैं, जिनके आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
सुरक्षा पर सवाल
इस मामले ने सरकारी कार्यालयों की सुरक्षा व्यवस्था और दस्तावेज जांच प्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। प्रशासन अब इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतने की योजना बना रहा है।
जल्द हो सकता है बड़ा खुलासा
पुलिस सूत्रों के अनुसार, पूछताछ में कुछ अहम जानकारियां सामने आई हैं, जिससे यह संदेह गहराया है कि आरोपी किसी बड़े गिरोह का हिस्सा हो सकता है। मामले की जांच साइबर एंगल और कॉल डिटेल्स के माध्यम से भी की जा रही है।