भिलाई | जून 2025
छत्तीसगढ़ स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) भिलाई ने वैश्विक शैक्षणिक सहयोग की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। फ्रांस के बाद अब आईआईटी भिलाई ने जर्मनी की प्रतिष्ठित सिएगेन यूनिवर्सिटी के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता (MoU) किया है। यह एमओयू शैक्षणिक अनुसंधान, छात्र विनिमय और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है।
आईआईटी भिलाई में बनेगा सेंसर टेक्नोलॉजी पर संयुक्त केंद्र
इस समझौते के अंतर्गत सेंसर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक संयुक्त शोध केंद्र की स्थापना की जाएगी, जो आईआईटी भिलाई परिसर में संचालित होगा। यह केंद्र दोनों संस्थानों के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की सहभागिता से विकसित किया जाएगा और अत्याधुनिक तकनीकों पर शोध कार्य किए जाएंगे।
संयुक्त केंद्र में सेंसर से जुड़ी नई तकनीकों के विकास, स्मार्ट बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवाओं और पर्यावरण निगरानी जैसे क्षेत्रों में इनोवेशन को प्राथमिकता दी जाएगी। यह केंद्र वैश्विक औद्योगिक जरूरतों के अनुरूप समाधान विकसित करने में सहायक होगा।
शैक्षणिक और अनुसंधान साझेदारी को मिलेगा बढ़ावा
समझौते पर हस्ताक्षर सिएगेन यूनिवर्सिटी, जर्मनी में आयोजित एक विशेष समारोह के दौरान हुए। इस मौके पर भारतीय दूतावास के प्रतिनिधि डॉ. बनर्जी ने भी उपस्थिति दर्ज कराई और इस शैक्षणिक सहयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह पहल भारत-जर्मनी संबंधों को नई दिशा देगी।
आईआईटी भिलाई के निदेशक प्रोफेसर डॉ. राजीव प्रकाश ने इसे भारत और जर्मनी के बीच मजबूत होते अकादमिक रिश्तों की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा, “यह समझौता शोध और नवाचार को वैश्विक आयाम देगा और दोनों देशों के युवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवसर उपलब्ध कराएगा।”
छात्रों को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म
इस एमओयू के जरिए दोनों संस्थानों के छात्रों को एक-दूसरे के विश्वविद्यालयों में शोध और अध्ययन के अवसर मिलेंगे। साथ ही, फैकल्टी एक्सचेंज प्रोग्राम, ज्वाइंट वर्कशॉप, सेमिनार और टेक्निकल प्रोजेक्ट्स जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
भविष्य की दिशा में एक कदम
इस समझौते से स्वास्थ्य, पर्यावरण और स्मार्ट सिटी जैसे क्षेत्रों में शोध कार्य को नया आयाम मिलेगा। उद्योग जगत की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह केंद्र व्यावहारिक समाधान विकसित करेगा, जिससे समाज को सीधा लाभ मिलेगा।
आईआईटी भिलाई की यह पहल देश में तकनीकी शिक्षा और अनुसंधान को वैश्विक मानकों पर ले जाने की दिशा में एक उल्लेखनीय प्रयास है।